सीएम रेखा गुप्ता, दिल्ली में बढ़ते कोरोना के मामले, फोटो सोर्स - एक्स
नई दिल्ली : दिल्ली में एक बार फिर कोविड-19 संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी में एक दिन में 100 से ज्यादा नए केस दर्ज होने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। 26 मई दिन सोमवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और सभी अस्पतालों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, “हमने हालात का विश्लेषण किया है और फिलहाल घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। सभी सरकारी अस्पतालों को कोविड के संभावित मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रखा गया है।”
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में कोविड-19 के 104 सक्रिय मामले सामने आए हैं। इस बीच, दिल्ली सरकार ने एक नई कोविड-19 एडवाइजरी जारी की है, जिसमें अस्पतालों को बेड, ऑक्सीजन, जरूरी दवाइयों और वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
सभी स्वास्थ्य संस्थानों को यह भी कहा गया है कि वे पॉजिटिव मामलों के सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लोक नायक अस्पताल भेजें, ताकि नए वैरिएंट्स की पहचान की जा सके। एडवाइजरी में स्पष्ट कहा गया है, “अस्पतालों को बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर, BiPAP मशीन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और PSA प्लांट जैसी सुविधाएं पूरी तरह चालू स्थिति में रखनी होंगी।”
स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने बताया कि वर्तमान मामलों की जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मरीज दिल्ली के निवासी हैं या हाल ही में किसी यात्रा से लौटे हैं। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पूरे देश में बीते 24 घंटे में 1,009 नए कोविड-19 मामले सामने आए हैं। इनमें केरल से सबसे ज्यादा 430 मामले और महाराष्ट्र से 209 मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही देशभर में 7 मौतें भी दर्ज की गईं हैं, जिनमें 4 महाराष्ट्र, 2 केरल और 1 कर्नाटक से रिपोर्ट की गई है।
INSACOG (इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम) की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा मामलों में वृद्धि JN.1 वेरिएंट की सब-लाइनें NB.1.8.1 और LF.7 के कारण हो रही है। अप्रैल में तमिलनाडु में NB.1.8.1 का एक मामला और मई में गुजरात में LF.7 के चार मामले सामने आए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन दोनों वैरिएंट्स को वैरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग (VUM) की श्रेणी में रखा है, जिसका अर्थ है कि इन पर स्वास्थ्य एजेंसियों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।