12 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण (सौजन्य सोशल मीडिया)
12 Naxalites Surrender In Narayanpur: बुधवार को नक्सल संगठन को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में कुल 12 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण किया है। इसमें से 9 पर 18 लाख रुपए का इनाम था। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में पांच महिलाएं और सात पुरुष शामिल हैं।
अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, जिले में दो एरिया कमेटी सदस्य सुदरेन नेताम उर्फ सुधाकर (41) और धोबा सलाम उर्फ महेश सलाम समेत 12 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। इनमें पांच महिलाएं भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सुदरेन और धोबा के सिर पर पांच—पांच लाख रूपए का इनाम है।
वहीं दो नक्सलियों के सिर पर दो-दो लाख रूपए, तीन नक्सलियों के सिर पर एक—एक लाख रूपए और दो नक्सलियों के सिर पर 50—50 हजार रूपए का इनाम है। अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों ने नक्सल उन्मुलन अभियान और अति संवेदनशील अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार शिविर स्थापित होने से पुलिस के बढ़ते प्रभाव के कारण तथा नक्सलियों की अमानवीय, आधारहीन विचारधारा और उनके शोषण से तंग आकर आत्मसमर्पण करने का फैसला किया है।
#WATCH | Chhattisgarh | On surrender of 12 naxals in Narayanpur, SP Robinson Guria says, “12 naxals carrying a total bounty of Rs 18 lakhs have surrendered today. The 12 naxals include five women and seven men. Two of them were ECMs in their naxal outfit in Indravati and East… pic.twitter.com/TGSeuLe4oO
— ANI (@ANI) September 17, 2025
अधिकारी का कहना है कि, आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को 50-50 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान किया गया। उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति के तहत मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगी। अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2025 में जिले में कुल 177 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण किया है।
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एसपी रॉबिन्सन गुरिया ने कहा कि पूछताछ के दौरान, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने पुलिस को बताया कि शीर्ष माओवादी नेता ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं। वे जल, जंगल और जमीन के साथ-साथ समानता और न्याय की रक्षा करने के झूठे वादे करके स्थानीय लोगों को गुमराह करते हैं, सिर्फ उनका शोषण और उन्हें गुलाम बनाने के लिए। एसपी ने आगे बताया,”उनके अनुसार, स्थानीय कार्यकर्ताओं का बहुत ज्यादा शोषण होता है, और महिला माओवादियों की हालत तो और भी खराब है। कई नेता उन्हें शहरों या यहां तक कि विदेशों में बेहतर भविष्य का झूठा वादा करके व्यक्तिगत गुलाम की तरह रखते हैं।”