पूर्व CM भूपेश बघेल
नई दिल्ली : एक बड़ी खबर के अनुसार केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास पर आज यानी बुधवार को छापे मारे। मामला पर मिली खबर के अुसार CBI की टीमों ने रायपुर और भिलाई में बघेल के आवास के साथ-साथ एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री के एक करीबी सहयोगी के आवासीय परिसरों पर भी छापे मारे।
हालांकि इस बाबत CBI ने अभी कोई जानकारी नहीं दी है कि ये छापे किस मामले में मारे जा रहे हैं। विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित शराब घोटाला मामले में हाल में बघेल के आवास पर छापे मारे थे। आईये जानते हैं कि इससे पहले पूर्व CM भूपेश बघेल के आवास पर कब-कब रेड पड़ी है
जानकारी दें कि, बीते 10 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित शराब घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे के खिलाफ धनशोधन जांच के तहत उनके (पूर्व मुख्यमंत्री के) परिसरों पर सोमवार को छापे मारे तथा कुछ दस्तावेजों के अलावा 30 लाख रुपये नकदी जब्त की थी।
तब दुर्ग जिले में भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के भिलाई परिसर, चैतन्य बघेल के कथित करीबी सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल और कुछ अन्य के परिसरों समेत 14 ठिकानों की धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत तलाशी ली गयी थी। छापेमारी सुबह करीब सात बजे शुरू हुई थी और ED के तलाशी दल के साथ सीआरपीएफ का सुरक्षा दल भी था।
वहीं आठ घंटे तक चली तलाशी के शाम में समाप्त होने से पहले करीब 30 लाख रुपये नकद जब्त किए गए। उन्होंने बताया कि ED पूर्व मुख्यमंत्री के आवास पर नकदी गिनने की मशीन भी लेकर आई थी। बाद में भूपेश बघेल ने संवाददाताओं को बताया था कि ED के अधिकारी ‘‘अपने साथ लगभग 33 लाख रुपये नकद ले गए, लेकिन कोई सोना या आभूषण जब्त नहीं किया गया।”
वहीं कांग्रेस ने कहा था कि बघेल परिवार के खिलाफ छापेमारी ऐसे दिन ‘‘सुर्खियां जुटाने” की ‘साजिश’ है, जब संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हुआ है और सरकार को कई मुद्दों पर विपक्ष के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। छापेमारी के तुरंत बाद, भिलाई में बघेल के घर के बाहर कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ता एकत्र हो गये और दावा किया कि यह केंद्र की साजिश है।
वहीं ED अधिकारियों ने बताया था कि बघेल के घर के बाहर जमा हुए कांग्रेस समर्थकों ने उनकी गाड़ियों को रोक लिया और जब टीम वहां से निकल रही थीं, तो एक पत्थर उनकी कार के शीशे पर लगा। ED ने पहले कहा था कि छत्तीसगढ़ शराब ‘घोटाले’ के कारण राज्य के राजस्व को ‘‘भारी नुकसान” हुआ और इस अपराध से प्राप्त 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब में गई। इस मामले में ईडी ने जनवरी में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य को गिरफ्तार किया था।
ED की मानें तो कथित शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी। इस जांच के तहत ED ने अब तक विभिन्न आरोपियों की लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। शीर्ष अदालत ने 2024 में इस मामले में ED की पहली ईसीआईआर (प्राथमिकी) खारिज कर दी थी, जो आयकर विभाग की शिकायत पर आधारित थी।
तब ED ने उसके द्वारा जुटाये गये सबूतों के आधार पर आरोपियों के विरूद्ध छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू)/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को नयी प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया और फिर उसने खुद नया मामला दर्ज किया। ईओडब्ल्यू/एसीबी ने पिछले साल 17 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की थी तथा लखमा और पूर्व सचिव विवेक धंड समेत 70 व्यक्तियों एवं कंपनियों को नामजद किया था। उससे करीब एक माह पहले भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस को हराया था।