प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: Meta AI)
नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग सेंटरों पर बढ़ती निर्भरता को कम करने के लिए 11 सदस्यों की एक समिति गठित की है। यह समिति कोचिंग सेंटरों से जुड़ी कई चिंताओं पर विचार करेगी। जैसे कि स्कूलों में कमियां, अच्छे संस्थानों में सीमित सीटें और प्रतियोगी परीक्षाओं का कोचिंग उद्योग पर प्रभाव। समिति कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों और चुनिंदा सफलता की कहानियों को बढ़ावा देने के तरीकों की भी समीक्षा करेगी।
उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी इस समिति के अध्यक्ष होंगे। समिति हर महीने शिक्षा मंत्री को अपनी रिपोर्ट देगी। यह समिति देखेगी कि स्कूलों में क्या कमियां हैं जिनकी वजह से छात्रों को कोचिंग सेंटरों पर निर्भर रहना पड़ता है। खासकर, स्कूलों में क्रिटिकल थिंकिंग, लॉजिकल रीजनिंग, एनालिटिकल स्किल्स और इनोवेशन पर कम ध्यान दिया जाता है। रटने की प्रथा भी एक बड़ी समस्या है। समिति ‘डमी स्कूलों’ के बारे में भी पता लगाएगी।
समिति छात्रों और अभिभावकों के बीच करियर के विभिन्न विकल्पों के बारे में जागरुकता की कमी पर भी ध्यान देगी। बहुत से छात्र और अभिभावक कुछ ही गिने-चुने संस्थानों पर ध्यान देते हैं। समिति स्कूलों और कॉलेजों में करियर काउंसलिंग सेवाओं की उपलब्धता और प्रभावशीलता का भी मूल्यांकन करेगी। यह करियर मार्गदर्शन को बेहतर बनाने के लिए सुझाव भी देगी।
जोशी की अध्यक्षता वाली समिति को कोचिंग से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करने और छात्रों की कोचिंग पर निर्भरता को कम करने की दिशा में काम करने का काम सौंपा गया है। समिति को कोचिंग सेंटरों के ‘भ्रामक दावों और चुनिंदा सफलता की कहानियों को बढ़ावा देने जैसी विज्ञापन प्रथाओं की समीक्षा करने का भी काम सौंपा गया है।
इस समिति का काम कोचिंग सेंटरों के ‘भ्रामक दावों’ और चुनिंदा ‘सफलता की कहानियों’ को बढ़ावा देने जैसे ‘विज्ञापन प्रथाओं’ की समीक्षा करना है। समिति यह भी पड़ताल करेगी कि अच्छी उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग और टॉप के संस्थानों में सीमित सीटों के कारण छात्र कोचिंग संस्थानों की ओर क्यों भागते हैं।
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11 सदस्यीय समिति में सीबीएसई के अध्यक्ष, आईआईटी मद्रास, आईआईटी कानपुर, एनआईटी त्रिची और एनसीईआरटी के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके अलावा, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और निजी स्कूल के 3 प्रिंसिपल भी समिति का हिस्सा होंगे।