शेयर मार्केट (सौ.सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से उन्होंने टैरिफ समेत कई ऐसे ऐलान किए हैं, जिनसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल है। इस बीच अमेरिकी बाजार में आगे मंदी का खतरा भी मंडरा सकता है। प्रतिष्ठित ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स का ऐसा मानना है। उसका कहना है कि साल 2025 में अमेरिकी मार्केट में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि उसके एक्सपर्ट्स ने इस महीने दूसरी बार प्रमुख सूचकांक S&P 500 सौ का टारगेट घटा दिया है। इसकी वजह उन्होंने बढ़ती मंदी की आशंका और टैरिफ को लेकर जारी अनिश्चितता को बताया है।
एसएंडपी 500 इंडेक्स अमेरिका की 500 सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों के प्रदर्शन को मापता है। डेविड कोस्टिन की अगुवाई वाली गोल्डमैन सैक्स की टीम का अब ये भी मानना है कि साल के आखिर तक एसएंडपी 500 का लेवल करीब 5,700 का रहेगा। जबकि, पहले उन्होंने इसे 6,200 तक जाने का अनुमान लगाया था।
कॉस्टिन ने अपने नोट में लिखा कि गिरती ग्रोथ और बढ़ती अनिश्चितता की वजह से शेयर पहले से ज्यादा जोखिम भरी हो गई है। उनका वैल्यूएशन कम हो रहा है। नया अनुमान शुक्रवार के बाद जारी स्तर में सिर्फ 2 फीसदी ज्यादा है और ये वॉल स्ट्रीट के सबसे कम अनुमानों में से एक है। अगर ग्रोथ और निवेशकों का भरोसा और गिरा तो कीमतें हमारी उम्मीद से भी ज्यादा गिर सकती हैं। पहले उन्होंने 11 मार्च का टारगेट 6500 से घटाकर 6200 किया था। खासकर इस साल टेक्नोलॉजी शेयरों की कीमतों में गिरावट को देखते हुए।
गोल्डमैन सैक्स ने भी एक महीने में दूसरी बार टैरिफ अनुमान बढ़ा दिए हैं अब उनका कहना है कि 2025 में अमेरिका में औसत टैरिफ 15 फीसदी ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा, 2025 के लिए उन्होंने अमेरिकी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर सिर्फ एक फीसदी कर दिया है। अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का अनुमान की एक बड़ी वजह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी भी है। राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ को वे दुनिया के सभी देशों पर लागू करने वाले हैं। पहले ऐसा माना जा रहा था कि ये सीमित स्तर पर ही रहेगा, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि ये मामला बड़ा हो सकता है।
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जाहिर है कि एक्सपर्ट्स की तरफ से लगातार इस बात को लेकर आगाह किया जा रहा है कि अगर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया जाता है तो प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ जाएगी। इस प्रोडक्शन पर सीधा असर होगा और उत्पादन कम हो जाएगा। नतीजा ये होगा कि दुनिया भर में महंगाई बढ़ जाएगी और मंदी का खतरा बढ़ जाएगा। अब गोल्डमैन सैक्स का ये अनुमान एक्स्पर्ट्स के आशंकाओं पर मुहर है।