डॉलर के मुकाबले रुपया, (डिजाइन फोटो)
Why Rupee Is Falling Against Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया हर दिन गिरने का रिकॉर्ड बना रहा है। बुधवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले गिरकर 90.14 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। यह रुपया का ऑल टाइम लो लेवल है। रुपये में यह गिरावट ऐसे समय में आई है, जब भारत की GDP तेज रफ्तार से ग्रो कर रही है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक की MPC बैठक भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में रिजर्व बैंक द्वारा रुपया को लेकर बड़े कदम उठाये जा सकते हैं।
रुपये में लगातार जारी गिरावट के बीच लोगों का सवाल है कि आखिर भारतीय करेंसी क्यों इतना कमजोर हो रहा है और आम जनता पर इसका क्या असर होगा। अगर आपके मन में यह सवाल है कि भारतीय मुद्रा क्यों दबाव में है, तो इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं। आइए सबकुछ विस्तार से जानते हैं।
1. पावरफुल अमेरिकी डॉलर
सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण कारण शक्तिशाली डॉलर है। जब यूएस फेडरल रिजर्व यह संकेत देता है कि ब्याज दरों में कटौती में देरी हो सकती है, तो निवेशक सुरक्षा के लिए अमेरिकी डॉलर की ओर भागते हैं। जब डॉलर मजबूत होता है, तो भारतीय रुपये सहित उभरते बाजारों की मुद्राएं स्वाभाविक रूप से कमजोर हो जाती हैं।
बाजार 2025 में फेड की अपेक्षाओं पर लगातार उतार-चढ़ाव कर रहे हैं। एक सप्ताह व्यापारी जल्दी कटौती पर दांव लगाते हैं, जबकि अगले सप्ताह मजबूत अमेरिकी डेटा उन उम्मीदों को खत्म कर देता है, और हर बार जब अपेक्षाएं बदलती हैं, तो रुपया भी उनके साथ झूलता है।
2. विदेशी निवेशकों का बाजार से निकासी
यह स्टॉक मार्केट के लिए भी एक संवेदनशील कारक है। जब विदेशी फंड भारतीय इक्विटी या बॉन्ड से पैसा निकालते हैं, तो वे रुपये बेचते हैं और बदले में डॉलर खरीदते हैं। डॉलर की इस बढ़ी हुई मांग से स्वाभाविक रूप से भारतीय रुपये का मूल्य नीचे चला जाता है।
3. कच्चे तेल की कीमतों का असर
भारत के लिए कच्चा तेल एक कमजोर नस (Achilles’ heel) के समान है। भारत अपने कच्चे तेल का 85% से अधिक आयात करता है। जब वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ती हैं, या जब रुपया पहले से ही कमजोर होता है, तो हमारा आयात बिल बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि हमें आयात के लिए और अधिक अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होती है, जिससे भारतीय रुपये पर और दबाव पड़ता है। कच्चे तेल में हर छोटी बढ़त भी रुपये को घबराया हुआ बना देती है।
अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि RBI इस स्थिति में क्या कर रहा है। इसका सीधा जवाब है कि RBI रुपये को गिरने नहीं दे रहा है, बल्कि इसे बहुत सावधानी से प्रबंधित कर रहा है। RBI की रणनीति मूल्य बिंदु पर स्थिर नहीं है, बल्कि नियंत्रित है। RBI का उद्देश्य अस्थिरता को कम करना और चरणबद्ध तरीके से सुधार करने की अनुमति देना है, न कि कोई निचला स्तर तय करना।
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डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने का सीधा असर आम लोगों से लेकर सरकार और उद्योगों तक पड़ता है। सबसे पहले आयात महंगा हो जाता है, क्योंकि भारत कच्चा तेल, गैस, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी जैसे कई सामान डॉलर में खरीदता है। इससे पेट्रोल-डीजल, ट्रांसपोर्ट और रोजमर्रा की चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं। विदेश यात्रा, विदेशी शिक्षा और विदेश में पैसा भेजना भी महंगा हो जाता है। दूसरी ओर, कंपनियों को कच्चा माल महंगा पड़ता है, जिससे उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं और महंगाई में इजाफा होता है।