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नई दिल्ली : केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड यानाी सीबीआईसी के चेयरमैन संजय कुमार ने जीएसटी के बारे में अहम जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि जीएसटी रेट को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित किए गए मंत्री समूह यानी जीओएम अपने काम में जुटा है। इससे जुड़ी रिपोर्ट तैयार होने के आखिरी पड़ाव में हैं। इसे जल्द ही जीएसटी काउंसिल के सामने रखे जाने की उम्मीद है। डायरेक्ट टैक्स के मोर्चे पर इनकम टैक्स रेट्स में छूट मिलने के बाद ये उम्मीद की जा रही है कि कंज्यूमर्स डिमांड को और भी ज्यादा रफ्तार देने के लिए जीएसटी रेट्स को रैशनलाइज्ड बनाया जा सकता है।
अग्रवाल ने कहा है कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर अलग अलग वस्तुओं पर लगने वाली जीएसटी दरों को रैशनलाइज्ड बनाने के लिए काम कर रहा है। इससे जुड़ी रिपोर्ट इस समय आखिरी चरण में है और इसे जल्द ही जीएसटी काउंसिल के सामने रखने की उम्मीद की जा रही है। जीएसटी इस समय में 4 लेवल टैक्स स्ट्रक्चर है, जिसमें 5,12,18 और 28 प्रतिशत वाले 4 स्लैब हैं। लग्डरी और समाज के नजरिए से हानिकारक वस्तुओं पर सबसे ज्यादा 28 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है।
साथ ही पैकिंग वाले फूड आइटम्स और जरूरी वस्तुओं पर सबसे कम 5 प्रतिशत टैक्स ही लगाया जाता है। रिपोर्ट आने में देरी के सवाल पर अग्रवाल ने जवाब देते हुए कहा है कि जीएसटी रेट्स को रैशनलाइज्ड बनाने के लिए लगभग 3 साल पहले मंत्री समूह यानी जीओएम का गठन किया था। बाद में इसका दायरा बढ़ाया गया और साथ ही इससे जुड़े नियमों और शर्तों में बदलाव किए गए थे। साथ ही इसके सदस्यों को भी बदला गया। यही कारण है कि रिपोर्ट आने में देरी हुई है, लेकिन फिलहाल ये अपने आखिरी चरण में है। जब अग्रवाल से ये सवाल किया गया कि क्या जीएसटी काउंसिल की अगली मीटिंग में रिपोर्ट पेश की जाएगी, तो इसका जवाब देते हुए अग्रवाल ने कहा है कि अभी जीओएम अपना काम कर रहा है और उस बारे में इस समय कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।
अमेरिका के कुछ देशों के खिलाफ कस्टम ड्यूटी में अच्छी खासी बढ़त होने के कारण एक तरह से ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। इस बारे में अग्रवाल ने कहा है कि अमेरिका से इंपोर्ट होने वाले इंपोर्टेड प्रोडेक्टस पर ड्यूटी पहले से ही कम हैं, जिसके लिहाज से भारत से एक्सपोर्ट होने वाले सामान पर अमेरिका में ज्यादा ड्यूटी लगाने का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका से जो इंपोर्ट होते हैं, उसमें से अगर टॉप 30 प्रोडक्ट्स को लें, तो उन पर ड्यूटी ज्यादा नहीं है।
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उदाहरण के लिए भारत में सबसे ज्यादा इंपोर्ट होने वाला प्रोडक्ट कच्चा तेल है, जिसपर कस्टम ड्यूटी सिर्फ 1 रुपया प्रति टन है। इसी तरह एलएनजी पर 5 प्रतिशत, कोयले पर 2.5 प्रतिशत, हवाई जहाज पर 3 प्रतिशत, कच्चे हीरे पर 0 प्रतिशत और तराशे हुए हीरों पर 5 प्रतिशत ड्यूटी लगी हुई है। उन्होंने कहा है कि जब हमने बहुत ज्यादा ड्यूटी लगायी ही नहीं है, तो मेरे अनुसार ऐसे में कोई मामला नहीं बनता है कि भारत से अमेरिका को एक्सपोर्ट होने वाले प्रोडक्ट्स पर ज्यादा ड्यूटी लगायी जाएगी। हालांकि ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि इस मामले में आगे क्या होता है।