फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : सोमवार को कुछ आधिकारिक आंकड़े जारी किए गए हैं। जिसके आधार पर ये जानकारी मिली है कि भारत की ओर से अब तक किए गए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी एफटीए के अंतर्गत जारी मूलस्थान से जुड़े सर्टिफिकेट की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। साल 2023-24 में ये 6,84,724 के आंकड़े पर थे, जो साल 2024-25 में बढ़कर 7,20,996 तक हो गए है।
एफटीए के अंतर्गत उत्पादों के मूलस्थान संबंधी प्रमाणपत्रों की संख्या में बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि भारतीय निर्यातक अब व्यापार समझौतों के तहत हासिल सुविधाओं का अधिक उपयोग कर रहे हैं। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इन आंकड़ों पर कहा कि तरजीही मार्ग के तहत भारत का व्यापार बढ़ रहा है।
मुक्त व्यापार समझौते के तहत दो देश अपने बीच व्यापार किए जाने वाले अधिकतम वस्तुओं पर आयात शुल्क को या तो काफी कम कर देते हैं या पूरी तरह हटा देते हैं।भारत ने अब तक जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के साथ ऐसे समझौते किए हैं। मूलस्थान प्रमाण पत्र उन देशों को एक्सपोर्ट के लिए एक जरूरी डॉक्यूमेंट है जिनके साथ भारत के ट्रेड एग्रीमेंट हैं। एक्सपोर्टर्स को इंपोर्ट करने वाले देश के पोर्ट पर यह सर्टिफिकेट जमा करना होता है।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी एफटीए के अंतर्गत शुल्क रियायतों का दावा करने के लिए यह डॉक्यूमेंट जरूरी है। यह सर्टिफिकेट यह साबित करने के लिए जरूरी है कि माल कहां से आया है। बर्थवाल ने कहा है कि अगर कोई एक्सपोर्टर यह सर्टिफिकेट ले रहा है तो इसका मतलब है कि वह एफटीए के अंतर्गत उपलब्ध तरजीही शुल्क का उपयोग कर रहा है।
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इन समझौतों के अंतर्गत शुल्क रियायतों का लाभ उठाने से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता में सुधार होता है। आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-मई के दौरान 1,32,116 प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में ऐसे 1,20,598 प्रमाणपत्र जारी किए गए थे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)