टेक्सटाइल सेक्टर (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति की जवाबी टैरिफ पॉलिसी ने भारत को कपड़ा एक्सपोर्ट के मामले में अनुकूल स्थिति में ला दिया है, क्योंकि देश को वियतनाम, चीन और बांग्लादेश जैसी बाकी अप्रैरल एक्सपोर्टर्स की तुलना में रिलेटिव कॉस्ट का फायदा होगा। डोनाल्ड ट्रंप की सरकार का टारगेट अमेरिका के ट्रेड डेफिसिएट को कम करना और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है।
भारत द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर ज्यादा इंपोर्ट ड्यूटी लगाए जाने की बात कहते हुए अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। रेमंड ग्रुप के मुख्य वित्त अधिकारी यानी सीएफओ अमित अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा को बताया है कि अमेरिका द्वारा घोषित जवाबी टैरिफ साफ रूप से इशारा देता है कि भारत चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे अन्य अप्रैरल एक्सपोर्टर्स देशों की तुलना में बहुत ज्यादा अनुकूल स्थिति में है। हमें पहले से ही अमेरिकी कंज्यूमर्स से क्षमता उपलब्धता के बारे में पूछताछ मिलनी शुरू हो गई है।
इसी तरह की बात दोहराते हुए ईवाई इंडिया के भागीदार और खुदरा कर लीडर परेश पारेख ने कहा कि वर्तमान में इंडियन टेक्सटाइल सेक्टर की नजर से भारत प्रॉफिट की स्थिति में है। उन्होंने कहा है कि भारत कपड़ा एक्सपोर्ट के लिए बांग्लादेश, वियतनाम, कंबोडिया, श्रीलंका, चीन, पाकिस्तान आदि देशों के साथ ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धा करता है।
उन्होंने कहा है कि दिलचस्प बात ये है कि इंडियन इंपोर्ट के लिए लगभग 27 प्रतिशत टैरिफ की तुलना में, इन देशों पर अमेरिका के टैरिफ का ज्यादा असर पड़ा है। बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत, पाकिस्तान पर 29 प्रतिशत, कंबोडिया पर 49 प्रतिशत,चीन पर 54 प्रतिशत, श्रीलंका पर 44 प्रतिशत, आदि।
अमेरिका भारत से 36 अरब डॉलर से ज्यादा कीमत के कपड़े इंपोर्ट करता है। पारेख ने कहा है कि यह स्थिति इंडियन टेक्सटाइल सेक्टर के लिए अमेरिका में अपना बाजार हिस्सा हथियाने और बढ़ाने का अवसर प्रस्तुत करती है। हालांकि, इसमें एक रिस्क भी है – यदि ऊंची कीमतों के कारण अमेरिका में कंज्पशन में मंदी आती है, तो समग्र अमेरिकी बाजार सिकुड़ सकता है।
हालांकि, अपोलो फैशन इंटरनेशनल जैसे कारोबारियों ने अलर्ट किया है कि ट्रंप टैरिफ एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी, खासकर कम मार्जिन पर काम करने वाले व्यवसायों के लिए। अपोलो फैशन इंटरनेशनल के अध्यक्ष शिराज असकरी ने कहा है कि इससे अल्पावधि में मूल्य निर्धारण और डिमांड प्रभावित होगी, लेकिन इंडस्ट्री के मूल तत्व मजबूत बने हुए हैं। भारत ने एक मजबूत ,सप्लाई चेन, कुशल वर्कफोर्स और क्वालिटी निर्माण में क्षमता बढ़ाई है।
अग्रवाल ने यह भी कहा कि अन्य प्रमुख मार्केट टैरिफ प्रभावित देशों से माल खरीदना जारी रख सकते हैं, जिसके रिजल्ट के तौर पर भारत को उन बाजारों में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, असकरी ने इस बात पर भी सहमति जतायी है कि वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में भारत ज्यादा बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा है कि अब ध्यान, सुविधा में सुधार, अनुपालन को मजबूत करने और किसी एक देश पर ज्यादातर निर्भरता को कम करने के लिए बाजारों में विविधता लाने पर होना चाहिए। उद्योग ने पहले भी व्यवधानों को संभाला है, और यह एक और पल है जो स्मार्ट, निर्णायक कार्रवाई की डिमांड करता है।
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डेलॉयट इंडिया के पार्टनर और उपभोक्ता उद्योग के अगुवा, आनंद रामनाथन ने भी कहा कि वियतनाम, चीन और बांग्लादेश की तुलना में कम टैरिफ अमेरिका को इंडियन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करेंगे।