यूनिवर्सल टोल (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को टोल टैक्स से जुड़ी अहम जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि सड़क परिवहन मंत्रालय नेशनल हाईवे पर यात्रियों को टेंशन फ्री सफर प्रदान करने के लिए यूनिवर्सल टोल पॉलिसी पर काम कर रहा है। साथ ही गडकरी ने ये भी कहा है कि अब भारत का हाईवे इंफ्रास्क्रचर अमेरिका के बराबर है।
नितिन गडकरी ने अपने बयान में कहा है कि हम एक यूनिवर्सल टोल पॉलिसी पर काम कर रहे हैं। इससे यात्रियों को होने वाली परेशानियों का हल होगा। गडकरी ज्यादा टोल टैक्स और खराब सड़क की शिकायतों के कारण नेशनल हाईवे पर चलने वालों के बीच बढ़ते असंतोष पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने नेशनल हाईवे पर एक बेरियर फ्री ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम यानी जीएनएसएस आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को लागू करने का फैसला किया है। गडकरी ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय सोशल मीडिया पर यात्रियों की शिकायतों को बहुत गंभीरता से ले रहा है और इसमें शामिल ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा है।
इस समय नेशनल हाईवे पर कुल यातायात में प्राइवेट कारों की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत हैं, जबकि इन वाहनों का टोल रेवेन्यू कलेक्शन में हिस्सा मुश्किल से 20-26 प्रतिशत है। पिछले 10 साल में ज्यादा से ज्यादा सेगमेंट पर टोल कलेक्शन शुरू होने से टोल टैक्स बढ़ा है, जिससे अक्सर यात्रियों में असंतोष बढ़ता है।
भारत में कुल टोल कलेक्शन 2023-24 में 64,809.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 35 प्रतिशत ज्यादा है। साल 2019-20 में कलेक्शन 27,503 करोड़ रुपये था। गडकरी ने भरोसा जताया कि राजमार्ग मंत्रालय 2020-21 में प्रतिदिन 37 किलोमीटर हाईवे निर्माण के पिछले रिकॉर्ड को चालू वित्त वर्ष में पार कर जाएगा। चालू वित्त वर्ष में अबतक करीब 7,000 किलोमीटर हाईवे का निर्माण हो चुका है।
भारतमाला परियोजना की जगह लेने के लिए नई योजना के अभाव में हाईवे प्रोजेक्ट आवंटित करने की रफ्तार काफी धीमी हो गई है। गडकरी के अनुसार, पहले भारतमाला परियोजना के अंतर्गत मंत्रालय के पास 3,000 करोड़ रुपये तक की हाईवे प्रोजेक्ट आवंटित करने का अधिकार था, लेकिन अब मंत्रालय भारतमाला परियोजना के तहत किसी भी नई परियोजना को मंजूरी नहीं दे सकता है।
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उन्होंने कहा है कि 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की किसी भी प्रोजेक्ट के लिए अब हमें मंत्रिमंडल की मंजूरी लेनी होगी। हमने 50-60 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा है। उन्होंने कहा कि मंजूरी मिलने के बाद इन परियोजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)