चीन अमेरिका टैरिफ वार, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
वाशिंगटन : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा कनाडा और मैक्सिको के खिलाफ लंबे समय से दी जा रही टैरिफ की धमकी आखिरकार मंगलवार को लागू हो गई है, जिससे ग्लोबल मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। अमेरिका के उत्तरी अमेरिकी सहयोगियों के द्वारा महंगी जवाबी कारवाई की उम्मीद पैदा हो गई है।
आधी रात से ही कनाडा और मैक्सिको से इंपोर्ट पर अब 25 प्रतिशत कर लगेगा, जबकि कनाडा के एनर्जी प्रोडक्ट्स पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। इसके अलावा, फरवरी में ट्रंप ने चीन से इंपोर्ट पर जो 10 प्रतिशत शुल्क लगाया था, उसे दोगुना करके 20 प्रतिशत कर दिया गया है। जवाब में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनका देश 21 दिनों के दौरान 100 अरब डॉलर से ज्यादा के अमेरिकी सामानों पर टैरिफ लगाएगा। मेक्सिको और चीन ने फिलहाल किसी जवाबी कार्रवाई के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।
अमेरिकी राष्ट्रपति के कदमों ने हाई इंफ्लेशन और विनाशकारी व्यापार युद्ध की संभावना को बढ़ा दिया है, जबकि उन्होंने अमेरिकी जनता से वादा किया था कि इंपोर्ट पर कर राष्ट्रीय समृद्धि का सबसे आसान मार्ग है। उन्होंने मुख्यधारा के अर्थशास्त्रियों की चेतावनियों को इग्नोर करने और अपनी खुद की सार्वजनिक स्वीकृति को दांव पर लगाने की इच्छा दिखायी है। उनका मानना है कि बढ़े हुए टैरिफ से देश की समस्याओं को ठीक कर सकते हैं।
ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में कहा है कि यह एक बहुत पावरफुल हथियार है जिसका राजनेताओं ने इस्तेमाल नहीं किया है क्योंकि वे या तो बेईमान थे, मूर्ख थे या उन्होंने किसी और तरीके से पैसे कमाए थे। उन्होंने कहा है कि और अब हम उनका इस्तेमाल कर रहे हैं।
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कनाडा और मेक्सिको के टैरिफ मूल रूप से फरवरी में शुरू होने वाले थे, लेकिन ट्रंप ने दो सबसे बड़े अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों के साथ आगे बातचीत करने के लिए 30-दिवसीय निलंबन पर सहमति जतायी है। टैरिफ का घोषित कारण ड्रग तस्करी और इललिगल इमीग्रेशन को संबोधित करना है, और दोनों देशों का कहना है कि उन्होंने इन मुद्दों पर प्रगति की है। हालांकि, ट्रंप ने यह भी कहा है कि टैरिफ तभी कम होंगे जब अमेरिकी ट्रेड डिस्बैलेंस बंद हो जाएगा, एक ऐसी प्रोसेस जिसका राजनीतिक समयसीमा पर समाधान होने की उम्मीद नहीं है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)