ट्रंप टैरिफ के बीच भारत के लिए खुले नए रास्ते
Trump Tariffs Positive Impact: अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) के नकारात्मक प्रभाव की आशंकाओं के बावजूद, भारतीय निर्यात जगत के लिए एक नई और सकारात्मक राह खुलती दिख रही है। अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित हुए बाजारों की भरपाई के लिए भारत ने सक्रियता से नए वैश्विक बाजारों की तलाश शुरू की है, जिसका परिणाम यह है कि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप के कई प्रमुख देशों ने भारतीय उत्पादों को खरीदने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है।
निर्यातकों और प्रमुख औद्योगिक संगठनों ने सरकार के साथ मिलकर और निजी स्तर पर नए बाजारों की खोज का सिलसिला जारी रखा है। इसी प्रयास के तहत कई देशों से भारतीय उत्पादों के लिए सैंपल ऑर्डर भी मिलने शुरू हो गए हैं, जिससे आने वाले महीनों में भारतीय निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद जगी है।
सूत्रों के अनुसार, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के उभरते बाजारों ने भारतीय उत्पादों में विशेष रुचि दिखाई है। यूरोप के कई देशों के अलावा, ब्राजील, मैक्सिको, केन्या, नाइजीरिया, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों ने भारतीय वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, औषधि (फार्मास्युटिकल्स), मशीनरी और आईटी उत्पादों को खरीदने की इच्छा व्यक्त की है।
यूरोप से जुड़े कई देश विशेष रूप से कपड़े, रत्न एवं आभूषण और कालीन जैसे उत्पादों के लिए सैंपल ऑर्डर दे रहे हैं। टेक्सप्रोस (होम फर्निशिंग) के अध्यक्ष विजय अग्रवाल ने बताया कि कई देशों को भारतीय उत्पादों के डिजाइन दिए गए हैं, जिनके सैंपल बनाकर भेजे जा रहे हैं। सैंपल स्वीकृत होने के बाद निर्यात शुरू कर दिया जाएगा। अग्रवाल के मुताबिक, सामान्य तौर पर सैंपल तैयार होने से लेकर निर्यात शुरू होने तक में छह से आठ महीने का समय लगता है, इसलिए मार्च 2026 तक भारत का निर्यात बढ़ने लगेगा। कई निर्यातकों को यूरोप और अफ्रीका के बाजारों में कपड़े की अच्छी मांग दिख रही है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन का कहना है कि भारत भले ही भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर लगातार चर्चा कर रहा है, लेकिन उसने इस बीच नए बाजारों की खोज में तेजी से काम किया है। भारत विशेष रूप से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) पर भी काम कर रहा है, जिनका लाभ आने वाले महीनों में मिलना शुरू हो जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने खरीदारों को बनाए रखने और नए खरीदारों को आकर्षित करने के लिए कुछ निर्यातक और उद्योग 10 प्रतिशत तक का डिस्काउंट भी दे रहे हैं। यह कदम व्यापार प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (GTRI) के अनुमान के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ से भारत का सालाना $30-35 बिलियन का निर्यात प्रभावित हो सकता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को $86 बिलियन का निर्यात किया था। यह अनुमान है कि टैरिफ से कुल निर्यात में 43 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है, जिससे जीडीपी में भी 0.5 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है। हालांकि, नए बाजारों की तलाश और मुक्त व्यापार समझौतों पर फोकस भारत के इस संभावित नुकसान की भरपाई करने के मजबूत प्रयास को दर्शाता है।
इस बीच, भारत का स्मार्टफोन निर्यात नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है, जो देश की विनिर्माण क्षमता में वृद्धि का संकेत है। चालू वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में भारत ने $13.4 बिलियन के स्मार्टफोन निर्यात किए हैं, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के $8.5 बिलियन के निर्यात से लगभग 59 प्रतिशत अधिक है। इस निर्यात में एप्पल का आईफोन अकेले $10 बिलियन से अधिक का हिस्सा रखता है, जो कुल निर्यात का 75 प्रतिशत से भी अधिक है। यह डेटा दर्शाता है कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत उच्च-मूल्य वाले इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात में भारत की पकड़ मजबूत हो रही है।
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कुल मिलाकर देखा जाए तो अमेरिकी टैरिफ की चुनौती ने भारतीय निर्यातकों को नई दिशाओं में सोचने और काम करने के लिए प्रेरित किया है। नए बाजारों में बढ़ती दिलचस्पी और सक्रियता के साथ, भारत अपने निर्यात बास्केट को व्यापक बनाने और वैश्विक व्यापार पटल पर अपनी स्थिति को मजबूत करने की राह पर है।