इंश्योरेंस सेक्टर (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : वित्त सेवा सचिव यानी डीएफएस एम. नागराजू ने सोमवार को इंश्योरेंस सेक्टर के बारे में एक बड़ी बात कही है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया है कि फाइनेंस मिनिस्ट्री जल्द ही इंश्योरेंस सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट यानी एफडीआई की लिमिट को बढ़ाकर 100 फीसदी करने के लिए ड्राफ्ट बिल को मंजूरी के लिए जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजेगा।
एम नागराजू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बातचीत के दौरान कहा वित्त मंत्री ने इसे पहले ही मंजूरी दे दी है और बजट में भी इसका ऐलान भी किया है। अब हम विधि मंत्रालय की हेल्प से बिल का ड्राफ्ट तैयार करेंगे। इसके बाद के ड्राफ्ट को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवा विभाग यानी डीएफएस का इरादा मौजूदा बजट सत्र के दौरान विधेयक को पेश करने का है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों के अंतर्गत इंश्योरेंस सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा था कि यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो अपना पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करेंगी। विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा बाधाओं और शर्तों की समीक्षा की जाएगी तथा उन्हें सरल बनाया जाएगा।
अब तक इंश्योरेंस सेक्टर ने एफडीआई के जरिये 82,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। एफडीआई सीमा बढ़ाने के लिए सरकार को बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में संशोधन करना होगा। विधेयक कुछ प्रक्रियाओं और नियमों को भी सरल बनाएगा।
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बीमा अधिनियम 1938 भारत में बीमा के लिए विधायी फ्रेमवर्क प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम है। यह बीमा व्यवसायों के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों तथा नियामक यानी भारतीय बीमा विनियामक व विकास प्राधिकरण के बीच संबंधों को विनियमित करता है। बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा आखिरी बार 2021 में 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की गई थी। इससे पहले 2015 में सरकार ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया था।