गिग वर्कर्स (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : ऑनलाइन डिलीवरी के रेस में वर्तमान समय में जो तेजी आ रही है, उससे ये साफ नहीं होता है कि डिलीवरी करने वाले गिग वर्कर्स की कमाई में भी उतनी ही तेजी आ रही है। टीमलीज डिजिटल स्टॉफिग फर्म की रिपोर्ट में इससे जुड़ा एक खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में 97.6 प्रतिशत गिग वर्कर्स साल भर में 5 लाख रुपये से कम कमाते हैं। जिसमें से 3/4 ये ज्यादा यानी लगभग 77.6 प्रतिशत गिग वर्कर्स हर साल 2.5 लाख रुपये से भी कम की ही कमाई कर पाते हैं। सभी गिग वर्कर्स में लगभग 20 प्रतिशत सालाना 2.5 से 5 लाख रुपये के बीच की ही कमाई कर पाते हैं। हालांकि ये कर्मचारियों पर निर्भर करता है कि वो कितने घंटे काम करते हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार, अच्छी कमाई करने के लिए गिग वर्कर्स 85 प्रतिशत कर्मचारियों को रोजाना 8 घंटे काम करना पड़ता है, जबकि ऐसा देखा गया है कि लगभग 21 प्रतिशत गिग वर्कर्स 12 घंटे से भी ज्यादा काम करते हैं। इस हिसाब से उन्हें हफ्ते में तकरीबन 100-100 घंटे काम करना पड़ता है, लेकिन उसके अनुसार उन्हें सैलरी नहीं मिल पाती है। कमाई कम होने के बड़ी वजह से स्विगी और जौमेटो जैसे प्लेटफॉर्मों के द्वारा किया जाने वाला भुगतान पिछले कुछ सालों में कम हुआ है। दूसरा प्रति ऑर्डर पर कर्मचारियों को मिलने वाला कमिशन पहले 35 रुपये हुआ करता था, जो अब सिर्फ 10 से 15 रुपये प्रति ऑर्डर हो गया है। तीसरा कारण ये है कि डिलीवरी जो पहले 4 किलोमीटर होता था, उसे बढ़ाकर 8 से 10 किलोमीटर कर दिया गया है। कर्मचारियों ने उनके कमीशन में गड़बड़ी और मनमानी कटौती की भी शिकायत की है, जिसके कारण से उनकी कमाई घट रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, गिग वर्कर्स की कैटेगरी सेक्टर है, उस पर उनकी कमाई निर्भर करती है। टीमलीज के आंकड़ों के अनुसार, डिजिटल मार्केटिंग या सॉफ्टवेयर डेव्हलप्मेंट सेक्टर में गिग वर्कर्स को उनके अनुभव के आधार पर 30,000 से 1,00,000 रुपये प्रति माह तक की कमाई कर सकते हैं। उसकी तुलना में ई-कॉमर्स में काम करने वाले गिग वर्कर्स 18,000 से 40,000 रुपये प्रति माह कमाई करते हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार, डिलीवरी एग्जीक्यूटिव डार्क स्टोर ऑपरेटर्स से बेहतर परिस्थिति में काम करते हैं। आंकड़ों से ये पता चला है कि संविदा कर्मचारी अक्सर 15,000 से 30,000 रुपये की कमाई करते हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार, काफी समय से गिग वर्कर्स के काम के घंटों और अनेकों परिस्थितियों में काम करने के कारण कंपनियां उन्हें एक्सीडेंट इंश्योरेंस और डेश और हेल्थ संबंधी समस्याओं के लिए इंश्योरेंस कवर भी उपलब्ध करवा रही हैं। सरकार ने हाल ही में गिग वर्कर्स की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए कईज्ञ योजनाओं की शुरूआत की हैं। जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना यानी पीएम- जेएवाई में शामिल किया जा रहा हैं। साल 2025 के बजट में 1 करोड़ गिग वर्कर्स को आईडी कार्ड देने और आरोग्य योजना में सुविधा देने का ऐलान किया गया है।