जेएलआर (सौजन्य : सोशल मीडिया)
मुंबई : अगर आप जिंदगी में सफलता हासिल करना चाहते है, तो आपको रतन टाटा की ये कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। दरअसल 1999 में टाटा ग्रुप ने इंडिका को लॉन्च करके ऑटोमोबाइल सेक्टर में एंट्री ली थी, लेकिन कुछ समय बाद टाटा इंडिका से संभावित प्रॉफिट ना मिलने के कारण कंपनी ने अपनी पब्लिक व्हीकल सेगमेंट को फोर्ड मोटर्स को बेचने का फैसला लिया था। बताया जाता है कि फोर्ड कंपनी के कुछ अधिकारियों ने रतन टाटा के साथ उचित व्यवहार नहीं किया था, जिससे आहत होकर रतन टाटा ने अपनी स्ट्रेटेजी बदली और न केवल सफलता हासिल की बल्कि साल 2008 में अपने अपमान का बदला लेकर फोर्ड की जेएलआर को भी खरीद लिया था।
टाटा ग्रुप की बड़ी यात्री कार टाटा इंडिका पेश किए जाने के एक साल बाद भी इच्छानुसार प्रॉफिट नहीं दे रही थी। इससे निराश होकर रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स के टॉप ऑफिसर्स ने फोर्ड मोटर्स के पब्लिक व्हीकल सेगमेंट को प्रमुख अमेरिकी मोटर मैन्यूफैक्चरिंग को संभावित रूप से बेचने का अनुरोध स्वीकार कर लिया। कुछ लोगों ने टाटा को कारोबार बेचने की सलाह दी थी और फोर्ड के ऑफिसर बातचीत करने के लिए बॉम्बे हाउस पहुंचे थे।
टाटा मुख्यालय में हुई बैठक के दौरान अमेरिकी कंपनी ने कारोबार खरीदने में इंटरेस्ट दिखाया। इसके बाद रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा के टॉप ऑफिसर मीटिंग के लिए अमेरिका पहुंच गए, जो करीब 3 घंटे तक चली। बैठक में उपस्थित एक व्यक्ति के अनुसार, फोर्ड के अधिकारियों ने डेट्रॉयट की बैठक में आए भारतीयों को ‘‘अपमानित” किया। फोर्ड के अधिकारियों ने अपने मेहमानों से कहा, ‘‘ आपको कुछ भी पता नहीं है, आपने पब्लिक व्हीकल सेगमेंट क्यों शुरू किया” और भारतीय कंपनी का कारोबार खरीदकर उस पर एहसान करने की बात कही। जिसके बाद सौदा टूट गया था।
इस शर्मनाक एक्सपीरियंस ने रतन टाटा को अपने लक्ष्यों पर और अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने टाटा मोटर्स को न बेचने का फैसला किया। इसके बाद जो हुआ वह असफलता से सफलता की कहानी रचने की एक बेहतरीन उदाहरण है। दल ने बैठक के तुरंत बाद भारत लौटने का फैसला किया, जिसे वहां मौजूद व्यक्ति ने ‘‘अपमानजनक” बताया। न्यूयॉर्क लौटते समय 90 मिनट की उड़ान में उदास रतन टाटा कुछ ही शब्द बोले। वे इस दौरान पूरे समय तक चुप से थे। ग्रुप के पुराने सदस्य प्रवीण काडले ने कुछ साल पहले एक पब्लिक इवेंट में कहा था, ‘‘ यह 1999 की बात है और 2008 में हमने उसी फोर्ड की जेएलआर को हमने खरीद लिया। फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा था कि ‘जेएलआर खरीदकर आप हम पर बड़ा एहसान कर रहे हैं’ ।”’
टाटा समूह ने 2008 में फोर्ड से 2.23 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे में सेडान और स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन बनाने वाले प्रतिष्ठित ब्रांड खरीद लिए थे। अधिग्रहण के बाद, टाटा ग्रुप ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में सबसे शानदार बदलावों में से एक की स्क्रिनप्ले लिखी है और ब्रिटिश ब्रांड को कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले ग्लोबल कार बाजार में मजबूत यूनिट के रूप में स्थापित करने में सफल रहा है। टाटा मोटर्स ने भले ही एक लंबा सफर तय किया है और भारत में बाजार हिस्सेदारी हासिल की है, लेकिन अब भी वह जेएलआर से अपने रेवेन्यू का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अर्जित कर रहा है।
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इस बीच, जगुआर लैंड रोवर ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए गुरूवार को कहा कि उनके प्रेरणादायक नेतृत्व से ब्रिटिश ब्रांड को दुनिया भर में बेहतरीन सफलता हासिल करने में मदद मिली। जेएलआर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी यानी सीईओ एड्रियन मार्डेल ने बयान में कहा, ‘‘ रतन टाटा के निधन से पूरा जेएलआर परिवार बेहद दुखी है। उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियां और विरासत समाज में बेमिसाल हैं। उन्होंने हमारे कारोबार और ब्रांड पर जो छाप छोड़ी है, वह किसी भी अन्य व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक है।”
उन्होंने कहा कि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन ने ब्रिटिश मोटर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी के इतिहास में नये अध्याय लिखने की प्रेरणा दी है। मार्डेल ने कहा, ‘‘ यह उनकी विलक्षण दूरदृष्टि ही थी कि टाटा ने 2008 में जेएलआर का अधिग्रहण किया और तब से लेकर अब तक हम जो कुछ भी हैं, वह उनके अटूट समर्थन तथा समर्पण से ही संभव हो पाया।” टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन नवल टाटा ने बुधवार रात साढ़े 11 बजे दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 86 वर्ष के थे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)