रिन्यूऐबल एनर्जी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
सिंगापुर : भारत इन दिनों रिन्यूऐबल एनर्जी के मामले में बाकी देशों से भी आगे निकलता हुआ नजर आ रहा है। इसी कड़ी में विएना में स्थित एक इंटरनेशनल सस्टेनेबल डेव्हलप्मेंट एजेंसी ने भारत के बारे में एक बयान दिया है। इस एजेंसी के अनुसार, भारत में रिन्यूऐबल एनर्जी सेक्टर के लिए विकास का महत्वपूर्ण अवसर हैं।
‘सस्टेनेबल एनर्जी फॉर ऑल’ यानी एसईफॉरऑल की निदेशक एवं चीफ ऑफ स्टाफ कनिका चावला ने कहा है कि भारत सरकार ने रिन्यूऐबल एनर्जी को लेकर गहरी तथा निरंतर प्रतिबद्धता दिखाई है। सिंगापुर इंटरनेशनल एनर्जी वीक से इतर पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में चावला ने कहा कि भारत में रिन्यूऐबल एनर्जी सेक्टर में ज्यादा मैन्यूफैक्चरिंग होने की बात कही है, जिससे सुरक्षा में भी सुधार हो सकता है और इंपोर्ट पर निर्भरता भी कम हो सकती है।
सिंगापुर इंटरनेशनल एनर्जी वीक का आयोजन 21 से 25 अक्टूबर तक किया गया था। कनिका चावला ने कहा है कि भारत मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रदर्शन-संबंधी प्रोत्साहन जैसी नीतियों का इस्तेमाल कर रहा है। यह बेहद प्रशंसनीय है और लोगों के लिए ऊर्जा आर्थिक समृद्धि लाता है।
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उन्होंने कहा कि भारत हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और लद्दाख में जियोथर्मल एनर्जी के ऑप्शन्स भी तलाश रहा है। विंड एनर्जी के लिए ऑफशोर एक्सप्लोरेशन का काम शुरू है और गुजरात तथा तमिलनाडु में व्यापक ऑप्शन्स मौजूद हैं। चावला ने कहा है कि भारत अब भी प्राइस के प्रति बहुत सेंसेटिव मार्केट है, इसलिए रिन्यूऐबल एनर्जी यूनिट की लागत कम करने की आवश्यकता है।
उन्होंने हरित हाइड्रोजन मिशन द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं और जारी प्रयासों, जैसे कि इंटरनेशनल कंपनियों के साथ पार्टनरशिप और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर अरेंजमेंट का उल्लेख भी किया। भारत ने सीओपी-26 ग्लासगो में 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से करीब 50 प्रतिशत संचयी विद्युत स्थापित क्षमता हासिल करने का संकल्प लिया है। ग्रीन ट्रांसफॉर्मेशन के लिए भारत ने साल 2030 तक 500 गीगावाट वेरिऐबल रिन्यूऐबल एनर्जी कैपेसिटी का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है और साल 2070 को शुद्ध शून्य लक्ष्य साल घोषित किया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)