भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) (सोर्स- सोशल मीडिया)
Securities Markets Code 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय शेयर बाजार और निवेश प्रणाली में बड़े सुधार के लिए लोकसभा में एक नया बिल पेश किया है। ‘सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025’ का मुख्य लक्ष्य जटिल पुराने कानूनों को समाप्त कर एक सरल और प्रभावी व्यवस्था लागू करना है। यह बिल न केवल सेबी को अधिक अधिकार प्रदान करेगा बल्कि म्यूचुअल फंड और बॉन्ड मार्केट को भी पारदर्शी बनाएगा। सरकार का उद्देश्य इस एकीकृत कानून के जरिए भारत को वैश्विक निवेश के लिए सबसे सुरक्षित और सुव्यवस्थित गंतव्य बनाना है।
वर्तमान में भारतीय प्रतिभूति बाजार कई अलग-अलग कानूनों जैसे सेबी एक्ट 1992, डिपॉजिटरीज एक्ट 1996 और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट 1956 द्वारा संचालित होता है। नए बिल का प्रस्ताव है कि इन सभी पुराने और बिखरे हुए कानूनों को हटाकर एक ‘सिंगल प्रिंसिपल बेस्ड कोड’ लागू किया जाए। इस एकीकरण से निवेशकों और कंपनियों के लिए नियमों को समझना आसान हो जाएगा और कानूनी पेचीदगियां कम होंगी। यह बदलाव शेयर बाजार के अलावा बॉन्ड और डेरिवेटिव्स जैसे वित्तीय साधनों पर भी समान रूप से लागू होगा।
प्रस्तावित बिल में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की भूमिका को और अधिक मजबूत करने पर जोर दिया गया है। अब बोर्ड के सदस्यों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे किसी भी फैसले से पहले अपने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हितों का खुलासा करें। इसके अलावा, सेबी को कोई भी नया नियम लागू करने से पहले सार्वजनिक परामर्श और पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी होगी। इससे रेगुलेटरी सिस्टम में भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होगी और संस्था की जवाबदेही पहले से कहीं अधिक बढ़ जाएगी।
अक्सर देखा जाता है कि मार्केट से जुड़े कानूनी मामले सालों तक अदालतों या ट्रिब्यूनल में अटके रहते हैं। नए बिल में जांच, अंतरिम आदेश और अंतिम कार्रवाई के लिए एक निश्चित समय सीमा तय करने का प्रावधान है। सभी अर्ध-न्यायिक (Quasi-Judicial) मामलों के लिए एक जैसी और सरल प्रक्रिया अपनाई जाएगी। समय पर फैसलों से बाजार में स्थिरता आएगी और धोखेबाजों के मन में कानून का डर बना रहेगा, जिससे निवेशकों का भरोसा बाजार पर मजबूत होगा।
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निवेशकों की शिकायतों के समाधान के लिए इस बिल में एक खास ‘ओम्बुड्समैन’ यानी लोकपाल सिस्टम लाने का प्रस्ताव है। यह निवेशकों के लिए एक समर्पित मंच होगा जहां उनकी समस्याओं का त्वरित निपटारा किया जाएगा। साथ ही, बिल में तकनीकी और छोटी गलतियों को अपराध की श्रेणी से हटाकर ‘सिविल पेनाल्टी’ में बदलने की बात कही गई है। हालांकि, मार्केट मैनिपुलेशन और जांच में सहयोग न करने जैसे गंभीर मामलों में अभी भी कठोर आपराधिक सजा का प्रावधान जारी रहेगा।