रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई अपने बैंक प्रणाली में आने वाले 4-5 साल में कुछ अहम बदलाव करने वाला है। ये बैंक भविष्य में अपने मुद्रा प्रबंधन बुनियादी ढांचे में बड़ा सुधार करने की योजना बना रहा है। इस योजना को जारी करने का कारण है कि देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में भविष्य की नकदी जरूरतों को पूरा किया जा सके, जिसके लिए पर्याप्त भंडारण और प्रबंधन क्षमता सुनिश्चित करनी होगी।
रिजर्व बैंक के एक दस्तावेज के अनुसार, मौजूदा बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए अत्याधुनिक मुद्रा प्रबंधन केंद्रों का निर्माण, गोदाम स्वचालन की शुरुआत, सुरक्षा और निगरानी प्रणालियों की स्थापना, एक भंडार प्रबंधन प्रणाली और एक केंद्रीकृत नियंत्रण केंद्र पर विचार किया जा रहा है। मुद्रा प्रबंधन बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए परामर्श और परियोजना प्रबंधन सेवाएं देने के लिए आरबीआई ने रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए हैं। इसके मुताबिक, पूरी परियोजना के लिए अपेक्षित समयसीमा 4-5 वर्ष है।
दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘पिछले तीन वर्षों में एनआईसी यानी चलन में पत्र मुद्रा की वृद्धि दर में नरमी के बावजूद, विश्लेषण से संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में वृद्धि सकारात्मक बनी रहेगी। अगले दशक में हालांकि इसकी गति धीमी रहने की उम्मीद है।”
केंद्रीय बैंक ने कहा कि मात्रा में वृद्धि के रुझान जारी रहने की उम्मीद है, और यह दर अधिक तेज हो सकती है। जनता की मूल्य संबंधी जरूरतें पर्याप्त रूप से और सुविधाजनक तरीके से पूरी हो सकें, इसलिए ऐसा करना होगा। मात्रा और मूल्य के संदर्भ में एनआईसी में पिछले दो दशक में काफी वृद्धि हुई है। मात्रा के लिहाज से एनआईसी 31 मार्च, 2023 को 136.21 अरब (बीपीसी) और 31 मार्च, 2024 तक 146.87 बीपीसी था। मात्रा और मूल्य के संदर्भ में चलन में सिक्के यानी सीआईसी भी बढ़े हैं।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अनुमानों में 2023-24 में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 7% से बढ़ाकर 7.2% कर दिया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)