आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (सौ. सोशल मीडिया )
ग्लोबल लेवल पर अस्थिर हालातों के मद्देनजर भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़त करने वाली इकोनॉमी बना हुआ है। इस टारगेट को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने शुक्रवार को हुई एमपीसी मीटिंग के फैसलों की जानकारी दी, तो देश में महंगाई दर के गिरने के साथ ही डोमेस्टिक जीडीपी ग्रोथ को मजबूत बनाने का अनुमान जताया जा रहा है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआी के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने बयान में ये कहा है कि पॉलिसी के तौर पर प्राइस कंट्रोल और जीडीपी ग्रोथ के बीच कोई उलझन नहीं है। मानसून की स्थिति इस साल ठीक रहने का भी अनुमान जताया जा रहा है, जिसके चलते प्राइस कंट्रोल में रहने वाली हैं। साथ ही ग्लोबल हालात बेहद ही संवेदनशील है, यहीं कारण है कि जीडीपी ग्रोथ पर भी ध्यान केंद्रित है। भारत में राजनीतिक स्थिरता के साथ ही प्राइस और ग्रोथ स्टेबिलिटी बनी हुई है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने ये कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 में देश के अंदर रिटेल इंफ्लेशन में और भी ज्यादा गिरावट आ सकती हैं। ये दर 3.7 प्रतिशत के लेवल पर रह सकती है, जबकि पहले ये अनुमान 4 प्रतिशत तक का था। भारत सरकार ने भी आरबीआई को महंगाई दर को 4 प्रतिशत के भीतर रखने का टारगेट दिया है। साथ ही केंद्रीय बैंक आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश की जीडीपी के लेवल को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा है। जीडीपी ग्रोथ को लेकर हालात पहले से काफी अच्छे हैं। साल 2025 के जनवरी से मार्च महीने की तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.4 प्रतिशत हुआ करती थी।
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महंगाई के ऊपर-नीचे आने और ग्रोथ के बने रहने के असर को देखते हुए आरबीआई ने जून की मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है। रेपो रेट में ये लगातार तीसरी कटौती है और ये अब घटकर 5.5 प्रतिशत के लेवल पर आ गई है। इससे पहले फरवरी और अप्रैल के महीने की एमपीसी के दौरान भी रेपो रेट में 0.25 बेसिक प्वाइंट की कटौती की थी और इसे 6.50 प्रतिशत से 6 प्रतिशत पर लाया गया था।