(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Petrol-Diesel Under GST: भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने जीएसटी में बदलाव की वकालत की। प्रधानमंत्री के भाषण के तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने भी मौजूदा जीएसटी स्लैब में बदलाव करने के प्रस्ताव को सामने रखा। वित्त मंत्रालय जीएसटी के चार स्लैब 5,12, 18 और 28 को दो स्लैब में लाने की रणनीति बना चुका है। अगर यह बदलाव होता है तो आम जनता के साथ-साथ छोटे कारोबारियों को भी बड़ी राहत की उम्मीद है।
जीएसटी स्लैब में बदलाव की चर्चाओं के बीच लोग यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी की दायरे में लाएगी। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि आखिर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंडर में न लाने के पीछे सरकार की क्या मंशा है। आइए जानते हैं।
दरअसल, फ्यूल पर टैक्स लगाना केंद्र और राज्य सरकारों के लिए रेवेन्यू का एक अहम सोर्स है, यहीं कारण है जिसके चलते सरकार इसे जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहती है। अगर यह जीएसटी के दायरे में आता है तो सरकारों की कमाई में गिरावट आ जाएगी। क्योंकि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के सबसे हाई स्लैब में भी रखते हैं, तब भी इनपर लगने वाला टैक्स, मौजूदा टैक्स से कम रहेगा।
जीएसटी का उच्चतम स्लैब 28 फीसदी है यानी जो भी वस्तुएं जीएसटी के दायरे में आती हैं, उनपर लगने वाला सबसे ज्यादा टैक्स 28 प्रतिशत है। हालांकि, सरकार ने इसमें भी कटौती कर 18 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा है। अगर मान लेते हैं कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर मौजूदी उच्चतम 28 फीसदी जीएसटी स्लैब में रखती है, तब भी उसका रेवेन्यू अभी के तुलना में काफी ज्यादा घट जाएगा।
इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर 18 अगस्त, 2025 की पेट्रोल और डीजल की कीमतों का ब्रेकअप दिया गया है, जिसके अनुसार यहां पेट्रोल की बेस कीमत- 52.83 रुपये, एक्साइज ड्यूटी-21.90 रुपये, डीलर कमीशन (एवरेज)- 4.40 रुपये और VAT- 15.40 रुपये है। इस तरह से यह ग्राहकों के लिए कुल 94.77 रुपये का हो जाता है।
ऐसे में जो पेट्रोल डीलर को 52.83 रुपये का पड़ रहा है, वह पेट्रोल ग्राहकों के लिए 94.77 रुपये का हो जाता है। इसमें 27.90 रुपये एक्साइज ड्यूटी और 16.54 रुपये का वैट, सरकारों को जाता है। इस तरह से सरकारों को कुल 44.44 रुपये प्रति लीटर की कमाई होती है। वहीं, अगर इसे जीएसटी में लाया जाता है तो डीलर को पड़ने वाली पेट्रोल की कॉस्ट, जो 53.54 रुपये है, उसपर ज्यादा से ज्यादा 28 फीसदी जीएसटी लगेगी, जिससे सरकारों को कुल 14.9912 रुपये प्रति लीटर का ही राजस्व मिलेगा। यह मौजूदा राजस्व (प्रति लीटर) का करीब एक तिहाई है।
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ऐसे में जो पेट्रोल डीलर को 52.83 रुपये का पड़ रहा है, वह पेट्रोल ग्राहकों के लिए 94.77 रुपये का हो जाता है। इसमें 21.90 रुपये एक्साइज ड्यूटी और 15.40 रुपये का वैट, सरकारों को जाता है। इस तरह से सरकारों को कुल 37.3 रुपये प्रति लीटर की कमाई होती है। वहीं, अगर इसे जीएसटी में लाया जाता है तो डीलर को पड़ने वाली पेट्रोल की कॉस्ट, जो 52.83 रुपये है, उसपर ज्यादा से ज्यादा 28 फीसदी जीएसटी लगेगी, जिससे सरकारों को कुल 14.79 रुपये प्रति लीटर की ही कमाई होगी। यह मौजूदा राजस्व (प्रति लीटर) का करीब एक तिहाई है।