(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Online Gaming Bill 2025: केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में ऑनलाइन गेमिंग बिल को मंजूरी दे दी है। इस बिल को लाने का मुख्य मकसद ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर पूरी तरह लगाम लगाना है, जो ऑनलाइन स्ट्टेबाजी और जुआ को प्रमोट कर रही हैं। इस विधेयक के जरिए सरकार बेटिंग ऐप्स पर भी रोक लगाना चाहती है।
सरकार के इस फैसले ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में हड़कंप मच गई है। इस बीच ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन, (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडियन फंतासी स्पोर्ट्स (FIFS) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिखते हुए इस बिल पर हस्तक्षेप करने की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस इंडस्ट्री से संबंधित शीर्ष अधिकारियों ने सरकार के साथ तत्काल मीटिंग करने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अगर बिल पास हो जाता है, तो इससे भारतीय यूजर्स को काफी नुकसान होगा। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन का तर्क है कि इससे करोड़ों की संख्या में गेमर्स दूसरे अवैध बेटिंग प्लेटफॉर्म और ऑपरेटर्स की ओर आकर्षित होंगे। इसके साथ ही यह बिल तेजी से बढ़ती गेमिंग इंडस्ट्री के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है, क्योंकि इससे करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है। फेडरेशन का कहना है की यह इंडस्ट्री प्रधानमंत्री मोदी की 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी को भी मजबूत कर रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि रेगुलेटेड और जिम्मेदार भारतीय प्लेटफॉर्म्स को बंद करने से करोड़ों प्लेयर्स अवैध सट्टा नेटवर्क और विदेशी जुआ वेबसाइट्स की ओर रूख करेंगे। भारतीय यूजर्स की सिक्योरिटी उन अवैध ऑपरेटरों के हाथों में चली जाएंगी, जो बिना किसी सुरक्षा उपाय और टैक्सेशन के काम करते हैं। ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि इससे 4 लाख कंपनियां, 2 लाख नौकरी, 25000 करोड़ का निवेश और सालाना 20000 करोड़ के जीएसटी कलेक्शन के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है।
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गेमिंग फेडेशन के मुताबिक, ऑनलाइन गेमिंग एक तेजी से उभरता हुआ सेक्टर है, जिसका वैल्यूएशन 2 लाख करोड़ से ज्यादा है और रेवेन्यू भी 31,000 करोड़ से अधिक है। इससे सरकार को सालाना 20,000 करोड़ रुपये का टैक्स भी मिलता है. आने वाले समय में इस सेक्टर के 20 परसेंट के CAGR से बढ़ने की उम्मीद है और 2028 तक यह इसका दोगुना हो सकता है। देश में ऑनलाइन गेमर्स की कुल संख्या 2020 में 36 करोड़ से बढ़कर 2024 में 50 करोड़ से अधिक हो गई है।