रेसीप्रोकल टैरिफ (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : ट्रेड वॉर के दौर में भारत और अमेरिका के बीच में एक अंतरिम ट्रेड एग्रीमेंट को 90 दिनों में आखिर रूप दिए जाने की बात सामने आयी है। हालांकि दोनों देशों के लिए इसके फायदेमंद होने पर ही एग्रीमेंट होगा। शुक्रवार को एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है।
डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने भारत पर लगाए 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क को 90 दिनों के लिए टालने का फैसला किया है। अधिकारी ने कहा कि दोनों देशों ने समझौते के लिए बातचीत शुरू करने के लिए पहले ही नियम एवं शर्तों को आखिरी रूप दे दिया है। उन्होंने कहा है कि एग्रीमेंट के शुरुआती बिंदुओं को अंतिम रूप देने के लिए बहुत संभावनाएं हैं। द्विपक्षीय व्यापार समझौते यानी बीटीए के स्वरूप और आकार को अंतिम रूप देने के लिए काफी उम्मीदें हैं।
अधिकारी ने कहा कि 90 दिन में सब कुछ पॉसिबल हो सकता है अगर यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है। भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते यानी बीटीए को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। दोनों पक्षों ने इस वर्ष सितंबर से अक्टूबर तक एग्रीमेंट के पहले फेज को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। दोनों का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर साल 2030 तक 500 अरब डॉलर करने का है। अधिकारी ने कहा है कि इस पर काम शुरू हो गया है। भारत एक ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत करने में अन्य देशों से बहुत आगे है।
उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका से लगातार कॉन्टेक्ट में है। इस दौरान बहुत सारी बातचीत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होंगी जबकि कुछ यात्राएं भी हो सकती हैं। अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारतीय वस्तुओं के इंपोर्ट पर 26 प्रतिशत एडिशनल टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। लेकिन 9 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन ने इस साल की 9 जुलाई तक यानी 90 दिनों के लिए इनके निलंबन का फैसला किया।
हालांकि भारत पर 10 प्रतिशत मूल टैरिफ जारी रहेगा। इस बीच, दिन में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत प्रस्तावित समझौते पर लगातार अमेरिका के कॉन्टेक्ट में है और सरकार देश व जनता के हितों की रक्षा करेगी क्योंकि जल्दबाजी में कोई भी कदम उठाना कभी भी उचित नहीं होता है। उन्होंने कहा कि देश की सभी व्यापार वार्ताएं इंडिया फर्स्ट की भावना के साथ अच्छी तरह आगे बढ़ रही हैं और ‘विकसित भारत 2047′ का रास्ता सुनिश्चित कर रही हैं।
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गोयल ने भारत और अमेरिका के बीटीए की प्रगति के बारे में पूछने पर संवाददाताओं से कहा है कि हमने पहले भी कई बार कहा है कि हम बंदूक रखके कभी बातचीत नहीं करते हैं। समय की पाबंदियां अच्छी रहती हैं क्योंकि वो प्रोत्साहित करती हैं कि बात तेजी से हो, लेकिन जब तक देश और जन हित को हम सुरक्षित ना रख सकें, तब तक कभी भी जल्दबाजी करना अच्छा नहीं है।