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IPO मार्केट में मची लूट, रिटेल निवेशकों को लूट रहे पूंजीपति-मर्चेंट बैंकर, नुकसान में Sensex-Nifty

IPO Market: देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होने के बावजूद इसका असर शेयर बाजारों में दिखाई नहीं दे रहा। मार्केट के उतार-चढ़ाव से रिटेल निवेशक हैरान है। आईपीओ मार्केट में भी लूट मची दिखाई दे रही है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Oct 04, 2025 | 01:43 PM

आईपीओ मार्केट (डिजाइन फोटो)

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Stock Market: शेयर बाजार (Stock Market) देश की अर्थव्यवस्था (Economy) का बैरोमीटर माना जाता है। यदि अर्थव्यवस्था में मंदी है तो बाजार में भी मंदी रहना स्वाभाविक है, लेकिन अर्थव्यवस्था में तेजी जारी है तो बाजार में भी तेजी रहनी चाहिए, लेकिन पिछले एक साल से ऐसा नहीं हो रहा है। इस बात से रिटेल निवेशक (Retail Investors) हैरान हैं। जब भारत की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) दुनिया के बड़े देशों में सबसे अधिक दर्ज हो रही है।

स्थिर सरकार, नियंत्रित महंगाई दर, ब्याज दरों में कटौती, बंपर मानसून, जीएसटी कटौती यानी अधिकांश फैक्टर पॉजिटिव हैं, सिवाय ऊंचे अमेरिकी टैरिफ की मार, लेकिन यह निगेटिव फैक्टर भी एक साल से नहीं है बल्कि कुछ माह पहले ही पैदा हुआ है। जबकि बाजार तो पिछले साल से ही नहीं चल रहा है। विगत एक वर्ष में मुख्य शेयर बेंचमार्क सेंसेक्स व निफ्टी (Sensex-Nifty) 5% नुकसान में रहे हैं।

सीधे बाजार में आ रहा निवेश

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि देश की तेज होती ग्रोथ को देख भारतीय रिटेल निवेशक भी जमकर निवेश कर रहे हैं। रिटेल निवेशकों का निवेश म्यूचुअल फंड स्कीमों के द्वारा या सीधे बाजार में आ रहा है। इन सबके बावजूद भारतीय बाजार में मंदी के हालात बनने का सबसे बड़ा कारण है अत्यधिक महंगे सार्वजनिक निर्गमों (IPO) की बाढ़ और उसमें निवेशकों की डूब रही जमा पूंजी। जिस तरह से मनमानी कीमतों पर लाए जा रहे आईपीओ के द्वारा खुलेआम लूट मची है, वह सरकार, निवेशक, म्यूचुअल फंड सभी के लिए खतरे की घंटी है।

छूट का नाजायज फायदा

केंद्र सरकार और पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने कंपनियों को आईपीओ लाने और शेयर मूल्य निर्धारण की छूट इसलिए दे रखी है कि वे कर्ज लेने की बजाय आम निवेशकों से ना लौटाने वाली पूंजी जुटा कर नए उद्योग-धंधे लगाएं और देश की तरक्की में योगदान देते हुए नए रोजगार पैदा करें, लेकिन सरकार और सेबी की ‘अनेदखी’ के कारण इस छूट का नाजायज फायदा उठाया जा रहा है।

कंपनी प्रमोटर, मर्चेंट बैंकर, ब्रोकर ‘कार्टेल’ (Cartel) बनाकर मनमानी कीमतों पर अंधाधुंध आईपीओ ला रहे हैं और लुभावने प्रचार के झांसे में फंसकर रिटेल निवेशक निवेश भी कर रहे हैं, लेकिन रिटेल निवेशकों का पैसा देश के विकास में लगने की बजाय पूंजीपतियों और विदेशियों की जेब में जा रहा है क्योंकि अधिकांश आईपीओ ‘ऑफर फॉर सेल’ (Offer For Sale) के लाए जा रहे हैं।

300 से अधिक आईपीओ में बटोरे 3 लाख करोड़

पिछले दो साल में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये के 300 से अधिक आईपीओ लाए गए हैं, जिनमें से 50% से अधिक राशि के आईपीओ ऑफर फॉर सेल वाले थे। इसका एक बड़ा उदाहरण हुंडई मोटर का 18,000 करोड़ रुपये का आईपीओ था, जिसका पूरा पैसा विदेशी प्रमोटरों के पास चला गया। इसके पहले सबसे महंगे पेटीएम के आईपीओ में लाखों भारतीय निवेशकों को चूना लगाकर हजारों करोड़ रुपये चाइनीज बटोर ले गए।

ओला, आइडियाफोर्ज, इसाफ, ड्रीमफोक्स, स्टार हेल्थ, क्रेडो, फिनो, बार्बेक्यू सहित ऐसे कई अनगिनत लूट के उदाहरण हैं। इनमें से अनेक को तो भारी घाटे में होने के बावजूद महंगे दाम पर आईपीओ लाने की छूट दी गयी। नजीतन इनमें लाखों निवेशकों की जमा पूंजी लूट ली गयी है।

16 में से 11 IPO नुकसान में

इस सप्ताह ही शेयर बाजारों में 16 कंपनियों के आईपीओ लिस्ट हुए और उनमें से केवल 5 कंपनियों के शेयर ही मामूली लाभ में लिस्ट हुए। शेष 11 कंपनियों के शेयर तो पहले दिन ही नुकसान में आ गए। यानी इनमें निवेशकों की जमा पूंजी फंस गयी। इस नुकसान का जिम्मेदार कौन? यही कारण है कि शेयर बाजार नहीं चल रहा है।

यह भी पढ़ें – Taxpayers को राहत, विभाग को बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने कई नोटिस किए रद्द, एक साथ 84 याचिकाओं का निपटारा

नई लिस्ट हुई जारो एजुकेशन का 450 करोड़ रुपये का आईपीओ 890 रुपये की मनमानी कीमत पर लाया गया था और पहले दिन ही 16% के भारी नुकसान के साथ सिर्फ 750 रुपये पर लिस्ट हुआ। इसमें 280 करोड़ रुपये के शेयर ऑफर फॉर सेल के तहत बेचे गए। इसकी मर्चेंट बैंकर नुवामा वेल्थ थी, जिसने पहले दिन ही निवेशकों की ‘वेल्थ’ को ‘लॉस’ में ला दिया। अब क्या सेबी इन 11 आईपीओ के लालची मर्चेंट बैंकरों (Merchant Bankers) के खिलाफ कार्रवाई करेगी?

– मुंबई से विष्णु भारद्वाज की रिपोर्ट

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Published On: Oct 04, 2025 | 01:43 PM

Topics:  

  • Business News
  • IPO
  • Share Market
  • Stock Market

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