मुंबई: साधारण बीमा उद्योग (General Insurance Industry) की अग्रणी कंपनी एसबीआई जनरल इंश्योरेंस (SBI General Insurance Company Ltd.) के प्रबंध निदेशक व सीईओ प्रकाश चंद्र कंडपाल का कहना है कि देश में डॉक्टरों की कमी दूर करने, सभी के लिए इलाज सुलभ कराने, मेडिकल एजुकेशन सस्ती करने और हेल्थ इंश्योरेंस को आम जनता के लिए अफोर्डबल बनाने के लिए हेल्थकेयर इकोसिस्टम (Healthcare Ecosystem) में व्यापक बदलाव कर इसे प्रभावी बनाना होगा।
हालांकि भारत सरकार नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण और ‘आयुष्मान भारत’ (Ayushman Bharat) जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाकर कर इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रही है, लेकिन अकेले सरकार नहीं, बल्कि सभी भागीदारों का सम्मलित सहयोग आवश्यक है। हेल्थकेयर सेक्टर से संबधित इन विभिन्न मुद्दों पर बीमा और बैंकिंग क्षेत्र के दिग्गज पी. सी. कंडपाल से वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज की विस्तृत चर्चा हुई। पेश हैं चर्चा के मुख्य अंश:-
देखिए रोटी, कपड़ा, मकान के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल (हेल्थकेयर) भी हर नागरिक की बुनियादी जरूरत है। आज शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा दोनों महंगी है। इसी कारण हेल्थकेयर सेक्टर में सारी दिक्कतें पैदा हुई हैं। हमारे बच्चे डॉक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन पढ़ाई अत्याधिक महंगी है। तभी मेडिकल विद्यार्थियों को जोखिम उठाकर वतन से दूर यूक्रेन और अन्य देशों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। देश में इलाज भी महंगा होता जा रहा है। इसी कारण स्वास्थ्य बीमा की लागत बढ़ रही है। इसलिए सभी दिक्कतों को दूर करने के लिए हेल्थकेयर सेक्टर (Healthcare Sector) के सभी भागीदारों को साथ लेकर इकोसिस्टम बनाना होगा। जिसमें हर चीज की ट्रीटमेंट कॉस्ट को ट्रैक करना होगा। निजी अस्पतालों के लिए यह अनिवार्य करना होगा कि वे रोगी की मूल बीमारी का इलाज करें ना कि बिल बढ़ाने के लिए अनावश्यक ट्रीटमेंट करे। साथ ही जागरूकता व प्रोत्साहन देकर सभी को हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) दिया जाए। इसके लिए सरकार को सर्वप्रथम हेल्थकेयर सेक्टर के लिए अलग रेगुलेटर (Regulator) का गठन करना होगा और मेडिकल एजुकेशन फीस घटानी होगी।
बिल्कुल संभव है। मेडिकल शिक्षा (Medical Education) को सस्ती बनाने के लिए हमें इंजीनियरिंग शिक्षा (Engineering Education) की तरह क्रांति लानी होगी। जिस तरह 20 साल पहले तक इंजीनियरिंग कॉलेजों की कमी थी तो वह भी महंगी थी, लेकिन बाद में बहुत सारे इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए तो इंजीनियरिंग एजुकेशन सस्ती हो गयी और देश में इंजीनियर्स की कमी भी दूर हो गयी।
अवश्य कर सकता है। विगत 7 वर्षों में कार्पोरेट सेक्टर (Corporate Sector) ने कार्पोरेट सामाजिक दायित्वों (CSR) पर करीब 1 लाख करोड़ रुपए खर्च किए। इसमें से यदि सरकार 50% यानी 50 हजार करोड़ रुपए हेल्थकेयर के लिए अनिवार्य कर दे सेक्टर में नई क्रांति आ जाएगी और सरकार का हेल्थ खर्च भी कम हो जाएगा। इस पैसे से बड़ी संख्या में नए मेडिकल कॉलेजों (Medical Colleges) का निर्माण कर हर गांव में एक डिस्पेंसरी खोलना अनिवार्य किया जाए तो रोजगार के साथ ग्रामीण जनता को बेसिक मेडिकल सुविधा भी मिल सकेगी। आज आर्थिक रूप से कमजोर परिवार तो चाह कर भी अपने बच्चे को इतनी महंगी मेडिकल शिक्षा नहीं दे सकता है। हर कंपनी के लिए यह अनिवार्य किया जाए कि वह ‘नीट’ परीक्षा (NEET Exam) में 50% से अधिक अंक लाने वाले एक विद्यार्थी की एमबीबीएस शिक्षा (MBBS Education) का खर्च उठाए तो अगले 5 साल में एक लाख एमबीबीएस तैयार हो सकते हैं, जिनकी नियुक्तियां देश के 6.49 लाख गांवों के 66 हजार से अधिक ब्लॉक में की जा सकती है।