मूडीज रेटिंग एजेंसी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के बाद पूरी दुनिया पर ट्रेड वॉर का खतरा मंडरा रहा है। इसी बीच में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बुरी खबर आ रही है। आपको बता दें कि देश की आर्थिक गति को लेकर एक रिपोर्ट सामने आयी है। फाइनेंशियल सर्विस फर्म मूडीज एनालिटिक्स ने कैलेंडर ईयर 2025 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट को 30 आधार अंक कम करके 6.1 प्रतिशत तक कर दिया है। ये अनुमान रत्न और आभूषण, मेडिकल इक्विप्मेंट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर रेसीप्रोकल टैरिफ के खतरे के मद्देनजर घटाया गया है।
मूडीज रेटिंग्स की इकाई मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। भारत से होने वाले इंपोर्ट पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने से ट्रेड बैलेंस पर भारी असर पड़ सकता है। मूडीज एनालिटिक्स ने ज्यादातर टैरिफ पर 90 दिनों की रोक और उसकी जगह पर 10 प्रतिशत के रेट से स्वीकारते हुए कहा है कि उसकी अप्रैल की आधार लाइन ये दिखाती है कि अगर टैरिफ आखिर में पूरे तरीके से लागू हो जाते हैं, तो इससे देश को काफी भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।
इसने कहा कि इस साल की शुरुआत में कर प्रोत्साहनों के ऐलान से घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन और रिस्क वाली अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में शुल्क के प्रभाव को कम करने में मदद मिलनी चाहिए।
मूडीज ने आगे कहा है कि चूंकि सकल मुद्रास्फीति में अच्छी रफ्तार से कमी आ रही, ऐसे में उम्मीद करते हैं कि आरबीआई रेपो दर में कमी करेगा, जो संभवतः 0.25% की कटौती के रूप में होगी। इससे साल के आखिर तक रेपो रेट की दर 5.75 प्रतिशत रह जाएगी। उसने कहा कि इसी साल घोषित टैक्स प्रोत्साहनों से डोमेस्टिक इकॉनोमी को बूस्ट मिलेगा और अन्य कमजोर इकॉनोमी की तुलना में ओवरऑल ग्रोथ पर शुल्क के झटके को कम करने में मदद मिलेगी।
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आरबीआई ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में बदलाव करते हुए एपपीसी की बैठक के बाद 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। इसके बाद वर्तमान में आरबीआई के रेपो रेट की दर 6 प्रतिशत है। इसके साथ ही, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई के अनुमान को घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है।