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मुंबई: देश की प्रमुख पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल (Indian Oil) 2046 तक शून्य उत्सर्जन (Zero Emissions) हासिल करने के लिए 2 लाख करोड़ रुपये की ग्रीन ट्रांसफॉर्मेशन प्लान (Green Transformation Plan) लागू करेगी और अपनी सभी रिफाइनरियों में हाइड्रोजन (Production) का प्रोडक्शन करेगी। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) के अध्यक्ष श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा कि कंपनी फ्यूल बिज़नेस में अस्थिरता से बचने के लिए पेट्रोकेमिकल्स (Petrochemicals) पर अधिक ध्यान देने के साथ बिज़नेस को फिर से तैयार कर रही है।
इसके साथ ही कंपनी की योजना पेट्रोल पंपों को एनर्जी आउटलेट्स में बदलने की है। जहां फ्यूल के अलावा ईवी चार्जिंग पॉइंट (EV Charging Point) और बैटरी स्वैपिंग के ऑप्शन भी मिलेंगे। इस योजना से भविष्य (Future) के लिए खुद को तैयार करने की रणनीति है, वैद्य ने कहा कि इंडियन ऑयल अपनी क्षमता को 81.2 मिलियन टन से बढ़ाकर 106.7 मिलियन टन प्रति वर्ष करने का इरादा रखता है। कंपनी को उम्मीद है कि 2030 तक भारत की तेल मांग 70-72 लाख बैरल प्रति दिन की दर से बढ़ेगी। वैद्य ने कहा कि अगले कुछ वर्षों तक तेल मुख्य ईंधन बना रहेगा, लेकिन हम खुद को ऊर्जा परिवर्तन के लिए तैयार कर रहे हैं, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन, फ्यूल, ईवी (EV) शामिल होंगे।
प्राकृतिक गैस (Natural Gas) जैसे बायो फ्यूल का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) का प्रोडक्शन किया जाता है। इंडियन ऑयल ने ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन करने के लिए पानी को विभाजित करने के लिए सौर जैसे स्रोतों से बिजली (Electric) का उपयोग करने की योजना बनाई है। वैद्य ने कहा कि कंपनी पानीपत (Panipat) तेल रिफाइनरी में 2,000 करोड़ रुपये से 2025 तक 7,000 टन प्रति वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन सुविधा स्थापित करेगी। हम पानीपत से शुरुआत कर रहे हैं लेकिन अंतत: हमारी सभी रिफाइनरियों में ग्रीन हाइड्रोजन इकाइयां होंगी।