जयश्री उल्लाल (सोर्स- सोशल मीडिया)
Jayshree Ullal Becomes Richest Indian Origin CEO: भारतीय मूल के सबसे अमीर CEO की लिस्ट जब भी बनाई जाती है, उसमें सबसे पहला नाम सत्या नडेला और सुंदर पिचाई का आता है। लेकिन अब यह तस्वीर बदल चुकी है। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 के अनुसार, अरिस्टा नेटवर्क्स की अध्यक्ष और CEO जयश्री उल्लाल ने इस रेस में नया नाम जोड़ा है। जिन्होंने सैलरी और संपत्ति के मामले में सत्या नडेला और सुंदर पिचाई को भी पीछे छोड़ दिया है।
उनकी कुल संपत्ति अब 50,170 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। यह न केवल सत्या नडेला (लगभग 9,770 करोड़ रुपये) और सुंदर पिचाई (लगभग 5,810 करोड़ रुपये) से बहुत आगे है, बल्कि उन्हें दुनिया की सबसे अमीर भारतीय मूल की प्रोफेशनल CEO बनाता है। यह सफलता सिलिकॉन वैली में भी सुर्खियों में रही है।
जयश्री उल्लाल 2008 से अरिस्टा नेटवर्क्स का नेतृत्व कर रही हैं। यह कंपनी क्लाउड नेटवर्किंग और हाई-परफॉर्मेंस डेटा सेंटर्स के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर मानी जाती है। Forbes के अनुसार, 2024 में अरिस्टा नेटवर्क्स का सालाना राजस्व लगभग 7 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले साल से लगभग 20% ज्यादा है। कंपनी की इस सफलता में उल्लाल की रणनीतिक सोच और तकनीकी समझ महत्वपूर्ण रही। उल्लाल के पास अरिस्टा नेटवर्क्स के लगभग 3% शेयर हैं, जिनमें से कुछ उन्होंने अपने परिवार के भविष्य के लिए सुरक्षित रखे हैं। कंपनी के शेयरों में तेजी ने उनकी संपत्ति को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
जयश्री उल्लाल का जन्म 27 मार्च 1961 को लंदन में हुआ था। बचपन में वह भारत आ गईं और नई दिल्ली में पढ़ीं। उनके पिता एक प्रतिष्ठित भौतिक विज्ञानी थे और शिक्षा मंत्रालय से जुड़े रहे। उन्होंने दिल्ली के जीसस एंड मैरी कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई की, इसके बाद परिवार अमेरिका चला गया।
अमेरिका में उन्होंने इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक और इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर्स किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सेमीकंडक्टर और नेटवर्किंग सेक्टर में काम शुरू किया। उनके तेज निर्णय लेने और दूरदर्शी नेतृत्व के कारण उन्हें जल्दी पहचान मिली।
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अपने शुरुआती करियर में उन्होंने AMD और Fairchild Semiconductor जैसी कंपनियों में काम किया। बाद में Cisco में उनका योगदान बड़ा साबित हुआ, जहाँ उन्होंने स्विचिंग डिवीजन को कंपनी के सबसे मजबूत बिजनेस सेक्शन में बदल दिया। 2008 में उन्होंने Cisco छोड़कर अरिस्टा नेटवर्क्स की कमान संभाली। उस समय कंपनी छोटी थी और संसाधन सीमित थे, लेकिन उनके नेतृत्व में अरिस्टा नेटवर्क्स ने ग्लोबल टेक मार्केट में अपनी अलग पहचान बनाई।