भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (सौ. Design Photo)
India-Britain Free Trade Agreement: भारत और ब्रिटेन के बीच में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होने से पूरे देश में खुशी की लहर दौैड़ उठी है। इसके साथ ही इंडस्ट्रियल वर्ल्ड और इकोनॉमिस्ट ने भी भारत और ब्रिटेन के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का खुलकर स्वागत किया है।
राजकोट इंजीनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र पांचणी ने शनिवार को कहा है कि भारत और ब्रिटेन के बीच हुई इस डील से देश के इंडस्ट्रियल सेक्टर को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। इस डील से भारत को अपने 99 परसेंट एक्सपोर्ट किए जाने वाले प्रोडक्ट्स पर ब्रिटेन में टैक्स फ्री एक्सपोर्ट की सुविधा मिलेगी।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए पांचणी ने कहा कि राजकोट इंजीनियरिंग हब है, क्योंकि पूरे भारत से इंजीनियरिंग सामान केवल राजकोट से ही एक्सपोर्ट किया जाता है। इसी के साथ ब्रिटेन के साथ हुए इस समझौते के बाद दोनों देश के बीच होने वाला व्यापार तेजी से आगे बढ़ेगा। इससे राजकोट इंजीनियरिंग एसोसिएशन को बूस्ट मिलेगा। पांचणी ने कहा है कि इस समझौते में ट्रेड से जुड़े मैक्सिमम प्रोडक्ट्स को शामिल किया गया है। पहले भी यूके में इंडियन प्रोडक्ट्स बेचे जाते थे, लेकिन अब ड्यूटी फ्री होने के चलते वहां ज्यादा क्वांटिटी में सामान एक्सपोर्ट हो सकेगा, जिससे ट्रेड में भी ग्रोथ होगी।
अर्थशास्त्री एवं सीए प्रभात रंजन ने कहा आईएएनएस से कहा है कि मैं पूरे भारत को इस एफडीए एग्रीमेंट पर ब्रिटेन द्वारा साइन किए जाने के लिए बधाई देता हूं, जो साल 2020 में ब्रिटेन में ब्रेक्सिट के बाद सबसे बड़े डील में से एक है, जिसका एक अहम असर देखने को मिलेगा।रंजन ने कहा कि इंडियन मेडिसिन इंडस्ट्री के लिए एक बहुत ही अहम कदम है, क्योंकि भारतीय जेनेरिक दवाएं अब टैरिफ फ्री होंगी। इसके अलावा, भारत में निर्मित मेडिकल और सर्जिकल उपकरण आदि भी शुल्क मुक्त होंगे, जो भारतीय दवा व्यवसाय के दृष्टिकोण से एक बड़ा बढ़ावा है।
उन्होंने कहा है कि अमेरिकी दृष्टिकोण से, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि समय के लिहाज से, अगर आप अमेरिकी रणनीति को देखें, तो अमेरिका ने भारत से अमेरिका को होने वाले सभी निर्यातित उत्पादों पर 26 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है, लेकिन इसका कार्यान्वयन पहली अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है। अब, पहली अगस्त की समय सीमा से ठीक पहले, 24 जुलाई को होने वाला यह सौदा आगे की रणनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
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रंजन ने कहा कि अगर आप अमेरिकी रणनीति को देखें, तो वह शुल्क लगाने पर जोर देगा जबकि भारत मुक्त शुल्क पर। इसलिए, दोनों देश पूरी तरह से विपरीत दिशाओं में जा रहे हैं, जिस पर भारत और अमेरिका को भी विचार करना होगा, साथ ही भारत और अमेरिका के संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देने के लिए अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ तालमेल बिठाना होगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)