प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बुधवार को दोहरी राहत मिली। एक तरफ खाने के सामान के दाम में नरमी से खुदरा महंगाई फरवरी में भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर चार प्रतिशत से नीचे 3.61 प्रतिशत पर आ गयी। वहीं दूसरी तरफ, विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक जनवरी में बढ़कर पांच प्रतिशत पर पहुंच गयी। मुद्रास्फीति में तेज गिरावट से इस बात की संभावना बढ़ी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नौ अप्रैल को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है। अगर आरबीआई अगले महीने प्रमुख ब्याज दर में कटौती करता है, तो यह दो महीने के भीतर दूसरी ब्याज दर कटौती होगी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से सब्जियों, अंडों और अन्य प्रोटीन युक्त वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में सात महीने के निचले स्तर 3.61 प्रतिशत पर आ गई। खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी माह में 4.26 प्रतिशत और फरवरी, 2024 में 5.09 प्रतिशत रही थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर नवंबर, 2024 से ही रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में बनी हुई है। आरबीआई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ खुदरा महंगाई को चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। केंद्रीय बैंक ने महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने से पिछले महीने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। खुदरा मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों, अंडे, मांस और मछली, दाल और उत्पादों, और दूध और दूध उत्पादों की मुद्रास्फीति में गिरावट के कारण हुई है। फरवरी में सालाना आधार पर जिन वस्तुओं के दाम में प्रमुख रूप से कमी आई, उनमें अदरक, जीरा, टमाटर, फूलगोभी, लहसुन थीं। दूसरी तरफ जिन वस्तुओं के दाम सबसे ज्यादा बढ़े, उनमें नारियल तेल, नारियल, सोना, चांदी और प्याज शामिल हैं।
बिजनेस सेक्टर की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
इसके साथ, देश में औद्योगिक उत्पादन में तेजी आई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन में इस साल जनवरी में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के संदर्भ में मापा जाने वाला औद्योगिक उत्पादन जनवरी, 2024 में 4.2 प्रतिशत बढ़ा था। सरकार ने दिसंबर, 2024 में 3.2 प्रतिशत वृद्धि के अस्थायी अनुमान को संशोधित कर 3.5 प्रतिशत कर दिया गया है। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 माह (अप्रैल-जनवरी) के दौरान आईआईपी की वृद्धि दर कम होकर 4.2 प्रतिशत रही, जो कि एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में छह प्रतिशत थी।