इंडियन इकोनॉमी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : आने वाले 3 सालों में देश की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का सपना अगले 3 सालों में यानी साल 2028 में पूरा हो सकता है। भारत का ये सपना पूरा होते ही जर्मनी और जापान की कुर्सी पर भारी खतरा मंडरा रहा है। जी हां, ऐसा माना जा रहा है कि साल 2028 में भारत की अर्थव्यवस्था तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। जिसके कारण जर्मनी की इकोनॉमी चौथी पोजिशन पर और जापान की इकोनॉमी 5वीं पोजिशन पर आ सकती है। असल में अमेरिकी फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने ये दावा किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले साल यानी साल 2026 में 4.6 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है। जिसके बाद भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आइए आपको बताते हैं कि किस तरीके से मॉर्गन स्टेनली ने ये अनुमान लगाया है।
फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने अपनी इस रिपोर्ट में ये अनुमान लगाया है कि मैक्रो इकोनॉमिक स्टेबल से प्रभावित पॉलिसीज और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ साल 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी हो सकती है। इसके साथ ही ये दुनिया का सबसे ज्यादा डिमांड वाला कंज्यूमर मार्केट भी हो सकता है और ग्लोबल प्रोडक्शन में भी इसकी हिस्सेदारी बढ़ सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार साल 2023 में 3,500 अरब डॉलर था और साल 2026 में इसका 4,700 डॉलर तक बढ़ने के अनुमान लगाया जा रहा है। जिसके बाद ये अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा। साल 2028 में भारत जर्मनी से भी आगे निकल जाएगा क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था 5,700 अरब डॉलर तक हो जाएगी। मॉर्गन स्टेनली के द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारत 1990 में दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी था। ये साल 2000 में नीचे खिसककर 13वें स्थान पर आ गया था। साल 2020 में ये 9वें स्थान पर और साल 2023 में ये 5वें स्थान पर पहुंच गया था।
ग्लोबल जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद में भारत की हिस्सेदारी साल 2029 में 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 4.5 प्रतिशत होने की उम्मीद की जा रही है। इस रिपोर्ट में भारत के विकास के 3 परिदृश्यों का अनुमान लगाया गया है। पहली स्थिति नरमी है, जहां इकोनॉमी साल 2025 में 3,650 अरब डॉलर हो सकती है। इस रिपोर्ट का दूसरा आधार है, जिसमें ये बढ़कर 8,800 अरब डॉलर तक हो सकती है और इसका तीसरा परिदृश्य तेजी है, जहां इसका साइज बढ़कर 10,300 अरब डॉलर तक हो जाएगा। इस रिपोर्ट में ये कहा गया है कि प्रति व्यक्ति जीडीपी साल 2025 में 2,514 डॉलर से बढ़कर साल 2035 में नरमी के परिदृश्य में 4,247 डॉलर, आधार परिदृश्य के अंतर्गत 5,683 डॉलर और तेजी के परिदृश्य के अंतर्गत 6,706 डॉलर हो जाएगी।
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रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दशकों में ग्लोबल प्रोजक्शन में भी भारत की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। जिसका कारण मजबूत जनसंख्या वृद्धि, लोकतंत्र, वृहद आर्थिक स्थिरता से प्रभावित नीति, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्टर, बढ़ता हुआ उद्यमी वर्ग और सामाजिक परिणामों में सुधार है। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में ये कहा कि भारत दुनिया का सबसे ज्यादा डिमांड वाला कंज्यूमर मार्केट होगा, ये एक मुख्य एनर्जी चेंज से गुजरेगा, कर्ज-जीडीपी का अनुपात भी बढ़ेगा और जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की भी हिस्सेदारी बढ़ सकती है। वर्तमान समय की बात की जाए तो मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, बढ़त में सुधार होने की संभावना है।