भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पाक के विवाद के बाद से कड़े तेवर अपना लिया है। हालांकि इसका असर भारत और अमेरिका की ट्रेड डील पर होता हुआ नजर आ सकता है। सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली है कि 25 जून को भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते पर सहमत हो सकते हैं।
सूत्रों ने ये जानकारी दी है कि व्यापार वार्ता के लिए अमेरिकी ऑफिसर्स की एक टीम आने वाले महीने में भारत आएगा। सूत्रों ने जानकारी दी है कि बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है। भारत के मुख्य वार्ताकार एवं वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने पिछले हफ्ते अपनी 4 दिवसीय वॉशिंगटन यात्रा पूरी की। उन्होंने प्रस्तावित कॉन्ट्रेक्ट पर अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ बातचीत की।
अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत टैरिफ पर 9 जुलाई को खत्म होने वाली रोक से पहले दोनों पक्ष प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते यानी बीटीए पर अंतरिम सहमति बनाना चाहते हैं। अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारत पर 26 प्रतिशत रेसीप्रोकल टैरिफ लगाया था लेकिन इसे 9 जुलाई तक निलंबित कर दिया। हालांकि भारतीय सामान पर अब भी अमेरिका द्वारा लगाया गया 10 प्रतिशत मूल टैरिफ लागू है।
अंतरिम व्यापार समझौते में, भारत घरेलू वस्तुओं पर 26 प्रतिशत रेसीप्रोकल टैरिफ से पूरी छूट देने का दबाव बना रहा है। दोनों देशों ने प्रस्तावित बीटीए के पहले फेज को पूरा करने की इस साल की शरद ऋतु यानी सितंबर से अक्टूबर तक की टाइम लिमिट तय की है। अमेरिका लगातार चौथे वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर बना रहा। दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
भारत के टोटल गुड्स एक्सपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 18 प्रतिशत, इंपोर्ट में 6.22 प्रतिशत और देश के टोटल गुड्स बिजनेस में 10.73 प्रतिशत रही। अमेरिका के साथ भारत का साल 2024-25 में वस्तुओं के मामले में व्यापार अधिशेष यानी आयात व निर्यात के बीच का अंतर 41.18 अरब अमेरिकी डॉलर था।
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साल 2023-24 में यह 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर, 2022-23 में 27.7 अरब अमेरिकी डॉलर, साल 2021-22 में 32.85 अरब अमेरिकी डॉलर और साल 2020-21 में 22.73 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। अमेरिका ने इस बढ़ते ट्रेड डेफिशिएंट पर चिंता जाहिर की है। दोनों बिजनेस पार्टनर का साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से ज्यादा बढ़ाकर 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का टारगेट है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)