पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( सो. सोशल मीडिया)
Mumbai News In Hindi: अमेरिका और भारत के संबंध व्यापार को लेकर बिगड़ गए हैं। इससे भारत पूर्व की ओर रुख कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल के अंतराल के बाद पहले जापान और फिर चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। यह समय ऐसे मौके पर आया है जब अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लागू कर दिया है।
भारत का पूर्व की ओर झुकाव व्यापार मोर्चे पर रणनीतिक बदलाव भी ला सकता है। भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में दोबारा शामिल होने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। भारत छह साल पहले इस पूर्वी व्यापार गुट से अलग हो गया था। इस गुट में आसियान के 10 सदस्य देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। दुनिया के इस सबसे बड़े व्यापार गुट में भारत के लिए अवसर दिखाता है।
पिछले दशक में भारत का निर्यात पश्चिम केंद्रित रहा है, क्योंकि अमेरिका उसके सामानों का सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा। 2014-15 में भारत के निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 13.5% थी, जो अब बढ़कर करीब 20% हो गई है। इसी अवधि में भारत का आरसीईपी देशों को निर्यात अस्थिर रहा।
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महामारी से पहले के वर्षों में भारत का 21% निर्यात आरसीईपी देशों को जाता था, लेकिन अब यह हिस्सा 17% के आसपास ठहरा हुआ है। अमेरिका और आरसीईपी के बीच कुल हिस्सेदारी का अंतर भले ही कम हो, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक सामान, दवाइयां और रत्न-आभूषण जैसे अहम क्षेत्रों में गुट काफी पीछे है। भारत इन क्षेत्रों में अवसर तलाश सकता है। कृषि और डेयरी क्षेत्र की सुरक्षा पर रुख समझौते में अड़चन डाल सकता है, जैसा कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में भी हुआ था।