इनकम टैक्स विभाग (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में नया इनकम टैक्स बिल पेश किया है। इस विधेयक को लेकर इनकम टैक्स विभाग ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इसके बारे में कहा है कि न्यू इनकम टैक्स बिल का एकमात्र उद्देश्य मुकदमेबाजी और कॉम्प्लेक्स एक्सप्लेशन को कम करके टैक्स निश्चितता हासिल करना है। ये बिल साइज में 1961 के इनकम टैक्स एक्स का आधा है।
लोकसभा में पेश किए गए नए बिल में 2.6 लाख शब्द हैं, जो मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट के 5.12 लाख शब्दों से काफी कम हैं। इसमें धाराओं की संख्या भी 536 है, जबकि मौजूदा कानून में 819 प्रभावी धाराएं हैं। आयकर विभाग ने आयकर विधेयक, 2025 के बारे में ‘अक्सर पूछे जाने वाले सवाल’ यानी एफएक्यू जारी करते हुए कहा कि नए बिल में चैप्टर्स की संख्या भी 47 से आधी करके 23 कर दी गई है।
न्यू इनकम टैक्स बिल, 2025 में 57 तालिकाएं हैं, जबकि मौजूदा अधिनियम में 18 हैं। नए बिल में 1,200 प्रावधान और 900 स्पष्टीकरण हटा दिए गए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक में ”काफी बदलाव” किए गए हैं। शब्दों की संख्या 5.12 लाख से आधी कर दी गई है और धाराएं 819 से घटाकर 236 कर दी गई हैं। इनकम टैक्स एक्ट को लोकसभा की चयन समिति के पास भेजा गया और 10 मार्च तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
छूट और टीडीएस/टीसीएस से संबंधित प्रावधानों को सारणीबद्ध प्रारूप में रखा गया है, जबकि गैर-लाभकारी संगठनों के लिए अध्याय की भाषा को सरल बनाया गया है। नए बिल के फॉर्मेटिंग में टैक्स निश्चितता के सिद्धांतों का पालन किए जाने के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा गया कि इसके अंतर्गत मुकदमेबाजी और नई व्याख्याओं के दायरे को कम करने की पूरी कोशिश की है।
इसके अनुसार, विशेष रूप से जहां न्यायालयों ने निर्णय दिए हैं, वहां मुख्य शब्द/ वाक्यांश को न्यूनतम संशोधनों के साथ बनाए रखा गया है। कई व्याख्याओं की गुंजाइश को कम करने के लिए प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है और इंटरनेशनल टैक्सेएशन के विभिन्न खंडों के संबंध में कर निश्चितता सुनिश्चित की गई है।
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एफएक्यू में कहा गया है कि न्यू इनकम टैक्स बिल में ‘कोई प्रमुख नीति-संबंधी परिवर्तन’ या कर दरों में बदलाव नहीं किया गया है। बिल ने सैलरी से संबंधित प्रावधानों को समझने में आसानी के लिए एक स्थान पर समेकित किया है ताकि टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए अलग-अलग अध्यायों का संदर्भ न लेना पड़े। ग्रेच्युटी, छुट्टी नकदीकरण, पेंशन का कम्यूटेशन, वीआरएस पर मुआवजा और छंटनी मुआवजा जैसी कटौती अब सैलरी चैप्टर्स का ही हिस्सा हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)