न्यू इनकम टैक्स बिल (सौ. सोशल मीडिया )
New Income Tax Bill: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल यानी 11 अगस्त 2025 को लोकसभा में न्यू इनकम टैक्स बिल पेश किया था। सिर्फ 4 मिनट में ही ये बिल लोअर हाउस में पारित भी हो गया। इस बिल को लेकर तैयारियां काफी दिनों से चल रही थी।
केंद्रीय बजट 2025 में भी वित्त मंत्री ने इसके टेबल पर होने की जानकारी दी थी। हालांकि, अभी इस बिल का राज्यसभा में पेश होना बाकी है, फिर राष्ट्रपति की साइन के बाद ये नया कानून बनेगा। आइए आपको बताते हैं कि पुराने इनकम टैक्स एक्ट और न्यू इनकम टैक्स बिल में क्या अंतर होगा?
केंद्र सरकार की ओर से न्यू इनकम टैक्स बिल के Old Draft को 8 अगस्त 2025 के दिन सदन से वापस ले लिया गया था। ये वही Draft था, जिसे बजट के समय संसद में पेश किया गया था। उसी के बाद न्यू इनकम टैक्स बिल को प्रवर कमेटी के पास भेजा गया था। सरकार ने कमेटी की ओर से लगभग हर सुझावों को मान लिया है और 60 साल से चलते आ रहे इनकम टैक्स एक्ट 1961 को रिप्लेस करने के लिए न्यू बिल लाया जा रहा है।
प्रवर कमेटी ने लगभग 4 महीनों के रिव्यू के बाद 285 सुझावों के साथ लगभग 4,500 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसके बाद उसे रिफाइन करके केंद्र सरकार ने 535 सेक्शन और 16 शेड्यूल के साथ न्यू बिल पेश किया था। इस बिल में कानून की भाषा को सरल और आसान बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। बिल में सीबीडीटी को ज्यादा ताकत दी गई है, जिसके चलते वह टैक्स सिस्टम को लेकर ज्यादा ट्रांसपरेंट तरीके से काम कर सके।
पुराने लॉ को रिप्लेस करने के लिए सरकार ने इस न्यू इनकम टैक्स बिल को पेश किया है। इसमें मेन फोकस लॉ की लैंग्वेज को आसान और सरल बनाने पर किया गया है।
1. इनकम टैक्स एक्ट 1961, पिछले 60 साल से भारत के टैक्स सिस्टम का आधार रहा है। समय के साथ इसमें कई बार अपडेशन किया गया, लेकिन इसमें बदलाव करने के बाद इसे समझना और भी ज्यादा मुश्किल हो गया।
2. न्यू इनकम टैक्स बिल, 2025 इसे एक और आसान और मॉडर्न सिस्टम से रिप्लेस करना चाहता है। इसमें 536 सेक्शन और 16 शेड्यूल हैं। पुराने Previous Year और Assessment Year की जगह अब नया शब्द Tax Year लाया गया है।
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नया इनकम टैक्स बिल 2025 पुराने और कंफ्यूजिंग नियमों को हटाकर चीजों को क्लियर करता है और झगड़ों को भी कम करता है। इसके साथ ही, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस यानी सीबीडीटी को आज के डिजिटल इकोनॉमी के अनुसार बनाने की ज्यादा ताकत दी गई है, ताकि कानून भविष्य में भी फिट रहे।