प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: देश में लोन लेने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसके साथ ही लोन डिफॉल्ट यानी की कर्ज नहीं चुकाने के मामले भी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। यदि आपने भी पर्सनल लोन लिया है, तो हर महीने की ईएमआई (EMI) समय पर जमा करना बेहद जरूरी है। अगर ऐसा करने से आप चूक जाते हैं, तो ये पांच बड़ी समस्याएं आपका पीछा नहीं छोड़ेंगी।
केवल एक ईएमआई (EMI) समय पर जमा नहीं करने से आपका क्रेडिट स्कोर 50 से 70 प्वाइंट्स तक नीचे आ सकता है। इससे आपको यह समस्या होती है कि आगे भविष्य में कोई नया लोन लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है या ब्याज दरें काफी ज्यादा हो सकती हैं।
किसी भी महीने की ईएमआई (EMI) मिस करने पर बैंक या NBFC आम तौर पर लेट फिस के रूप में 1-2 प्रतिशत की चार्ज वसूलते हैं। इसके साथ ही इसमें फाइन भी लगता है जो आपके लोन की कुल लागत को और भी बढ़ा देता है। EMI बाउंस करने का सीधा असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। अगर आप समय पर अपना किश्त जमा करते हैं, तो आगे आपको लोन के बेहतर विकल्प मिलते हैं।
अगर कोई भी शख्स 90 दिनों के अंदर अपने लोन का एक भी ईएमआई जमा नहीं किया, तो इसे माइनर डिफॉल्ट कहा जाता है। वहीं, 90 दिनों के बाद यह लोन नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित हो जाता है और आपकी आर्थिक छवि खराब हो जाती है। आपके क्रेडिट स्कोर पर इसका असर सालों तक रहता है और भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड मिलना मुश्किल हो सकता है।
यदि आपने 60 दिनों तक ईएमआई नहीं जमा किया, तो बैंक या लोन लेंडिंग कंपनी की ओर से आपको रिकवरी के लिए कॉल्स आने लगती हैं। ज्यादा समय तक डिफॉल्ट करने पर बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर सकता है। खासकर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्, एक्ट, 1881 के तहत आपके खिलाफ मामला बन सकता है।
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आपको बता दें कि जब बार-बार EMI बाउंस होता है और लोन एनपीए बन जाता है, तो आपका फाइनेंशियल ट्रैक रिकॉर्ड पूरी तरह से खराब हो जाता है। इस स्थिति में अगर भविष्य में आप कोई लेना चाहते हैं तो आपको बहुत ज्यादा ब्याज दर पर लोन मिलेगा या बैंक लोन देने से इनकार भी कर सकते हैं।