स्वास्थ्य मंत्रालय, (फाइल फोटो)
New Drugs and Clinical Trials Rules: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए दवा और क्लिनिकल रिसर्च सेक्टर के नियमों में संशोधन की योजना की घोषणा की। मंत्रालय ने कहा कि न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स (एनडीसीटी) नियम, 2019 में प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य टेस्ट लाइसेंस प्राप्त करने और बायो अवेलेबिलिटी/बायो इक्विवेलेंस (बीए/बीई) स्टडी से संबंधित आवेदन जमा करने की आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं को सरल बनाना है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि पब्लिक कमेंट्स प्राप्त करने के लिए 28 अगस्त को भारत के राजपत्र में भी इसे प्रकाशित किया है। यह पहल फार्मास्युटिकल सेक्टर में चल रहे नियामक सुधारों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मंत्रालय की ओर से कहा गया कि यह भारतीय दवा उद्योग के विकास को बढ़ावा देने और घरेलू नियमों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बनाने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में व्यापक प्रयासों का एक हिस्सा है। मंत्रालय ने आगे बताया कि इन कदमों से क्लिनिकल रिसर्च के लिए भारत का आकर्षण बढ़ने की उम्मीद है, जिससे फार्मास्युटिकल रिसर्च और डेवलपमेंट के ग्लोबल हब के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी। संशोधन में प्रस्ताव है कि टेस्ट लाइसेंसों के लिए मौजूदा लाइसेंस सिस्टम को अधिसूचना/सूचना प्रणाली में परिवर्तित किया जाए।
मंत्रालय ने कहा है कि इसके जरिए, आवेदकों को टेस्ट लाइसेंसों (उच्च जोखिम श्रेणी की दवाओं के एक छोटे से हिस्से को छोड़कर) के लिए इंतजार नहीं करना होगा, बल्कि उन्हें केवल केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सूचित करना होगा। इसके अलावा, टेस्ट लाइसेंस आवेदनों के लिए कुल वैधानिक प्रोसेसिंग समय 90 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दिया जाएगा।
प्रस्तावित संशोधन “बीए/बीई स्टडी की कुछ श्रेणियों के लिए मौजूदा लाइसेंस आवश्यकता को भी समाप्त करने का प्रयास करता है, जिन्हें केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सूचना या अधिसूचना प्रस्तुत करने पर शुरू किया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इन नियामक सुधारों से आवेदनों के प्रोसेसिंग की समयसीमा में कमी आने से हितधारकों को लाभ होने की उम्मीद है।
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मंत्रालय ने बताया कि इससे न केवल लाइसेंस आवेदनों की संख्या में कमी आएगी, बल्कि रिसर्च के लिए दवाओं के बीए/बीई स्टडी, टेस्टिंग और जांच को शीघ्रता से शुरू करने में भी मदद मिलेगी, और ड्रग डेवलपमेंट एंड अप्रूवल प्रक्रियाओं में देरी कम होगी। इसके अलावा, ये संशोधन केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को अपने मानव संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करने में सक्षम बनाएंगे, जिससे नियामक निगरानी की दक्षता और प्रभावशीलता में वृद्धि होगी।