बेरोजगारी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : हमारे देश में बेरोजगारी को एक सबसे अहम मुद्दा माना जाता है और साथ ही ये देश के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है। इस समस्या के बारे में विस्तार से जानने के लिए और इस समस्या का हल निकालने के लिए सटीक आंकडों का पता लगाना काफी जरूरी है।
इसको लेकर सरकार जल्द ही एक जरूरी फैसला ले सकती है, जिसके अंतर्गत अब हर महीने बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जारी करने की योजना बनायी जा रही है। यह कदम शहरी और ग्रामीण दोनों एरिया में लागू किया जाएगा। इससे रोजगार और बेरोजगारी की तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी।
आपको बता दें कि भारत में बेरोजगारी के आंकड़े हर 3 महीने में या सालाना आधार पर ही जारी किए जाते थे। शहरी एरिया के बेरोजगारी के आंकड़े तिमाही और ग्रामीण एरिया के आंकड़े सालाना आधार पर जारी किए जाते थे। हालांकि इस तरीके से आंकड़े पाने पर बदलती परिस्थितियों का अंदाजा ठीक से पता लगाने में सक्षम नहीं था। इसीलिए सरकार ने फैसला लिया है कि फरवरी 2025 से बेरोजगारी के आंकड़े मासिक आधार पर जारी किए जाएंगे। साथ ही ये आंकड़े शहरी और ग्रामीण दोनों एरिया के लिए उपलब्ध होंगे, जिससे रोजगार बाजार की वास्तविक स्थिति के बारे में पता लगाने में आसानी होगी।
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सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने इस योजना को लागू करने की जानकारी दी है। मंत्रायल ने पहले से ही शहरी बेरोजगारी के आंकड़े तिमाही और ग्रामीण आंकड़े सालाना आधार पर जारी करने की योजना बनायी थी, लेकिन अब इसे हर महीने में अपडेट किया जाएगा। इस योजना के कारण श्रमिकों, नीतिकारों और अर्थशास्त्रियों के रोजगार की सटीक परिस्थिति के आंकड़े सामने आ जाएगे, जिससे रोजगार की नीतियां और योजनाएं अधिक प्रभाव डाल सकती है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से ये जानकारी सामने आयी है कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी में कमी आयी है, लेकिन महिलाओं की बेरोजगारी दर इस समय पुरुषों की बेरोजगारी दर से ज्यादा है। उदाहरण के लिए अगर शहरी महिला बरोजगारी दर 8.4 प्रतिशत है, जबकि शहरी पुरुष बेरोजगारी दर सिर्फ 5.7 प्रतिशत है।