इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र (सौ. पिन्टेस्ट )
नई दिल्ली : सरकार कई स्कीमों के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट करना चाहती है। इसी सिलसिले में सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए और इस सेक्टर में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए निवेश की योजना बनायी है। सरकार ने फिलहाल कंपोनेंट्स इंसेंटिव स्कीम को तय कर दिया है। इस स्कीम के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आने वाले 6 सालों में 23,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्लानिंग की गई है, जिससे तकरीबन 92000 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद की जा रही है।
आईटी मिनिट्री की ओर से शुरु की जाने वाली यह स्कीम रोजगार को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई के बाद दूसरी स्कीम हो सकती है। इस स्कीम के अंतर्गत डिस्प्ले मॉड्यूल, लिथियम सेल एनक्लोजर, रेसिस्टर्स, सब असेंबली कैमरा मॉड्यूल, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली, कैपेसिटर और फेराइट्स जुडे़ काम शामिल हो सकते हैं।
केंद्र सरकार का प्लान देश में सीधे नौकरियों को बढ़ाने का है, जिसके अंतर्गत इस स्कीम की शुरुआत की जा रही है। सरकार को उम्मीद है कि इस स्कीम से 6 सालों के भीतर 91,600 डायरेक्ट नौकरी मिल सकती है। सरकार अपने इस टारगेट को पूरा करने के लिए हर साल के हिसाब से 2,300 करोड़ रुपये से लेकर 4,200 रुपये इंवेस्ट करेगी। इस स्कीम के अंतर्गत जो भी कंपनियां जुड़ेंगी उन्हें तय समय में प्रोडक्शन और नौकरी के टारगेट को पूरा करना होगा।
पीएलआई स्कीम के बाद कंपोनेंट्स इंसेंटिव स्कीम के माध्यम से लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने के लिए सरकार इस स्कीम को देख रही है। ऑफिसरों के अनुसार, देश में टेक सेक्टर की बड़ी कंपनियां जैसे एप्पल और सैमसंग तो हैं, लेकिन उनमें घरेलू वैल्यू एडिशन 15-20 प्रतिशत का है। हमारा टारगेट इसे बढ़ाकर 30 से 40 प्रतिशत करने का है।
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इस स्कीम के अंतर्गत 3 तरीके से इंसेंटिव दिया जाएगा, जिसमें पहला ऑपरेशनल एक्सपेंस पर निर्भर करेगा और दूसरा कैपिटल एक्सपेंस पर निर्भर करेगा। वहीं, तीसरा इंसेंटिव इन दोनों को मिलाकर दिया जा सकता है। जहां ऑपरेशनल इंसेंटिव नेट इंक्रीमेंटल सेल के आधार पर दिया जाएगा। वहीं, कैपेक्स को एलिजिबल कैपिटल एक्सपेंडीचर के आधार पर दिया जा सकता है।