आज से भारत पर ट्रंप का 50% टैरिफ लागू, ( डिजाइन फोटो )
Trump Tariff On India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर पहले 25% टैरिफ लगाया था, जो 7 अगस्त से लागू हुआ। इसके बाद रूस से तेल आयात करने को लेकर भारत पर अतिरिक्त 25% शुल्क और लगा दिया गया है, जो 27 अगस्त (बुधवार) से प्रभावी हो गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से भारत के कई उद्योगों को गहरा झटका लग सकता है और हजारों नौकरियों पर संकट मंडरा सकता है।
टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, झींगा, कालीन और फर्नीचर जैसे कम मुनाफे वाले उत्पादों का बड़ा निर्यात अमेरिकी बाजार में होता है, जिस पर अब सीधा असर पड़ेगा। इस स्थिति का फायदा वियतनाम, बांग्लादेश, कंबोडिया, यहां तक कि चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को मिल सकता है, क्योंकि उन पर ट्रंप प्रशासन ने अपेक्षाकृत कम टैरिफ लगाया है।
भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को इसलिए समझना जरूरी है कि यह किन उत्पादों पर लागू होगा और इसका असर कितना गहरा होगा। अब तक भारतीय कपड़ों पर 9% टैरिफ लगता था, लेकिन नए नियम के बाद यह बढ़कर 59% हो जाएगा। इसी तरह रेडीमेड गारमेंट्स पर पहले 13.9% शुल्क लगता था, जो अब 63.9% तक पहुंच जाएगा।
यह सेक्टर पूरी तरह श्रम आधारित है, जहां लगभग 4.5 करोड़ से अधिक लोग कार्यरत हैं। जानकारों का अनुमान है कि बढ़े हुए टैरिफ का असर सीधे तौर पर 5 से 7% कामगारों की नौकरियों पर पड़ सकता है। विशेष रूप से तमिलनाडु का तिरुपुर, गुजरात का सूरत, पंजाब का लुधियाना और महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे व नवी मुंबई जैसे प्रमुख टेक्सटाइल केंद्र सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है।
स्टील, एल्युमिनियम और कॉपर पर पहले केवल 1.7% टैरिफ लगाया जाता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 51.7% कर दिया गया है। इस क्षेत्र में करीब 55 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं। हालांकि सभी कर्मचारियों पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन एक निश्चित प्रतिशत व्यापारी और कामगार प्रभावित हो सकते हैं। इसी तरह फर्नीचर, बेडिंग और मैट्रेसेस पर पहले 2.3% टैरिफ था, जिसे अब बढ़ाकर 52.3% कर दिया गया है। इस सेक्टर में भी लगभग 48 लाख लोग जुड़े हुए हैं।
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पहले झींगों (Shrimps) पर कोई शुल्क नहीं था, लेकिन अब उन पर 50% टैरिफ लगेगा। झींगा कारोबार से करीब 15 लाख किसान जुड़े हुए हैं। इसी तरह हीरे, सोना और उनसे जुड़े अन्य उत्पादों पर पहले सिर्फ 2.1% टैरिफ लगता था, लेकिन अब यह बढ़कर 52% हो गया है। इस उद्योग से लगभग 50 लाख लोगों की रोज़ी-रोटी जुड़ी है।
पहले मशीनरी और मैकेनिकल उपकरणों पर मात्र 1.3% शुल्क वसूला जाता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 51.3% कर दिया गया है। इसी तरह, गाड़ियों और उनके स्पेयर पार्ट्स पर पहले सिर्फ 1% टैरिफ था, जिस पर अब अतिरिक्त 25% शुल्क जोड़कर कुल 26% टैरिफ लागू कर दिया गया है। इस क्षेत्र से सीधे तौर पर करीब 3 करोड़ लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है।
अमेरिकी टैरिफ के असर से रोजगार पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। GTRI का अनुमान है कि जिन सेक्टरों पर असर पड़ेगा, वहां से होने वाला निर्यात लगभग 70% घटकर केवल 18.6 अरब डॉलर रह सकता है। इस गिरावट से लाखों निम्न और अर्धकुशल कर्मचारियों की नौकरियां दांव पर लग सकती हैं। टेक्सटाइल और जेम्स-ज्वैलरी सेक्टर ने सरकार से कोविड-19 दौर जैसी राहत पैकेज (कैश सपोर्ट और लोन मोरेटोरियम) की मांग की है।