भारतीय सशस्त्र बल (सौजन्य : सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : देश की रक्षा करने वाले वीर जो पूरे भारत को अपना परिवार मानते हैं, उनके खुद के भी अपने परिवार होते हैं। इन सैनिकों को भी अपनी पत्नी और बच्चों के भविष्य की चिंता होती है। यहां तक कि कम उम्र में रिटायर होने के बाद सिर्फ पेंशन पर जीवन जीने की मुश्किलों के चलते जीवन की बाकी जिम्मेदारियों को पूरा करने में कठिनाई सामना करने की आशंका उन्हें ज्यादा सताती है।
इतना ही नहीं नौकरी पर होते हुए कुछ ही दिनों में एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट होने की परेशानी भी उन्हें बेचैन कर देती है। साथ ही कई प्रकार के फाइनेंशियल बोझ भी उनकी चिंता बढ़ा देते हैं। ऐसे में अगर भारतीय सुरक्षाबल में काम करने वाले सैनिक नौकरी में रहते हुए सही तरीके से फाइनेंशियल प्लानिंग करें तो उन्हें नौकरी में रहते हुए किसी भी प्रकार के फाइनेंशियस क्राईसिस का सामना नहीं करना पड़ेगा और ना ही रिटायरमेंट के बाद उन्हें भविष्य की चिंता सताएंगी।
सालों तक सेना में रहने के बाद फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म चला रहे एक्सपर्ट्स का ये मानना है कि सेना में रहते समय ही सैनिकों को या ऑफिसर्स को अपने 6 महीने के खर्च के बराबर का पैसा हमेशा ही अपने सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट या फिर लिक्विड म्यूचुअल फंड में जमा करके रखना चाहिए। साथ ही ईएमआई या फिर दूसरे इमरजेंसी एक्सपेंस के लिए भी हर महीने अपनी सैलरी में से एक हिस्सा बचाकर रख लेना चाहिए। इससे ट्रांसफर के बाद नई जगह पर शिफ्टिंग के समय अचानक से होने वाले खर्च से बचा जा सकता है। ये ऑफिशियल क्वार्टर के इंतजार में घर का किराया देने में मदद कर सकता है। इसके अलावा बच्चों के एडमिशन के समय होने वाले भारी भरकम खर्च को भी इससे चुकाया जा सकता है।
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सशस्त्र बल पर्सनल के लिए ये जरूरी है कि वे अपनी पत्नी को फाइनेंशियल पार्टनर बनाकर उन्हें वित्तीय साक्षरता से अवगत कराएं। इससे वे परिवार के सारे फाइनेंशियल ऑपरेशन आसानी से कर पाएंगी। किसी अनहोनी परिस्थिति में पत्नी को इंवेस्टमेंट के उन सारे इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में जानकारी पता रहेगी। इसका रिटर्न वो आसानी से समझकर उपयोग में ला सकेगी। सेना में काम करने वाले सैनिकों को कई शहरों में प्रॉपर्टी में निवेश ना करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इससे लिमिटेड छुट्टियों में कई शहरों में आने जाने में दिक्कत आ सकती है। इतना ही नहीं घर से मिलना वाला किराया टैक्सेबल होने के कारण भी परेशानी को बढ़ा सकता है। इसीलिए किसी भी एक बड़े शहर में ही एक प्रॉपर्टी लेने की सलाह दी जाती है। इतना ही नहीं डिफेंस सर्विसेस ऑफिसर्स प्रॉविडेंट फंड में भी योगदान बढ़ाने को सही मानते हैं।