भारतीय अर्थव्यवस्था (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : जियोपॉलिटिकल परेशानियों के बाद भी इंडियन इकोनॉमी से एक बेहद अच्छी खबर आ रही हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भी इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ रेट फाइनेंशियल ईयर 2025 में घरेलू डिमांड के चलते मजबूत रहने की उम्मीद की जा रही है। भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने ऐसी उम्मीद जतायी है।
सीआईआई के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद मेमानी ने अपने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अच्छे मानसून का अनुमान और नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर एवं रेपो दर में कटौती से बढ़ी हुई लिक्विडिटी जैसे कारक देश की इकोनॉमिक ग्रोथ का सपोर्ट करेंगे। पिछले महीने, भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने सीआरआर में 1 प्रतिशत कटौती का ऐलान करने के साथ स्टैंडर्ड इंटरेस्ट रेट में भी 0.50 प्रतिशत घटाने के साथ ही इसे 5.50 प्रतिशत कर दिया था।
वित्त वर्ष 2025-26 में इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ रेट के बारे में सीआईआई के पूर्वानुमान पर पूछे गए सवाल पर मेमानी ने कहा है कि हमें इंडियन इकोनॉमी के 6.4 से 6.7 प्रतिशत के रेट से बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि इस ग्रोथ के रास्ते में कुछ साफ रिस्क हैं जिनमें से कुछ बाहरी ट्रेड रिस्क से संबंधित हैं। मेमानी ने कहा है कि मुझे लगता है कि उनमें से बहुत से फेक्टर्स को अपने आकलन में शामिल किया गया है और कुछ पॉजिटिव पहलू भी हैं। इसलिए उम्मीद है कि वे बैलेंस हो जाएंगे। सीआईआई के नजरिये से देखें तो हम 6.4 से 6.7 प्रतिशत की ग्रोथ देख रहे हैं।
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उन्होंने एक प्रसेंटेशन में कहा कि इकोनॉमिक ग्रोथ से जुड़े रिस्क समान रूप से संतुलित हैं। सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ के लिए ‘भू-राजनीतिक अनिश्चितता’ नेगेटिव रिस्क पैदा करती है जबकि ‘मजबूत घरेलू मांग’ इसका सकारात्मक पहलू है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)