बजट 2025-26 की तैयारी को लेकर अर्थशास्त्रियों से मिली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
नई दिल्ली: अर्थशास्त्रियों ने शुक्रवार को सरकार को अगले वित्त वर्ष के बजट में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक औद्योगिक नीति लाने और राजकोषीय मजबूती में ढील देने का सुझाव दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों से मुलाकात की और 2025-26 के आम बजट पर उनके विचार मांगे। बजट एक फरवरी, 2025 को संसद में पेश किये जाने की संभावना है। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि अर्थशास्त्रियों ने सरकार को निवेश बढ़ाने के तरीके बताये और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने के सुझाव भी दिए।
महाजन ने कहा कि राजकोषीय मजबूती के संबंध में कुछ अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इसमें ढील दी जा सकती है, जबकि कुछ को लगता है कि मौजूदा रुख को जारी रखना चाहिए। आम बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत तक लाने का अनुमान रखा है। वित्त वर्ष 2023-24 में घाटा जीडीपी का 5.6 प्रतिशत था।
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अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बजट में व्यापक विनिर्माण और औद्योगिक नीति लानी चाहिए। लेखा परीक्षक और प्रख्यात अर्थशास्त्री अनिल शर्मा ने कहा कि खपत बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत आयकर में कटौती के संबंध में भी सुझाव दिए गए। बता दें कि वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट एक फरवरी 2025 को संसद में पेश किए जाने की संभावना है। यह निर्मला सीतारमण का लगातार आठवां बजट और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा। जानकारों का मानना है कि आगामी बजट से भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक नीतिगत दिशा मिलेगी।
बजट पूर्व परामर्श बैठकों में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त सचिव और दीपम (निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग) सचिव तुहिन कांत पांडेय, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ, राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा और वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।