भारत में बैंक क्रेडिट में 11.5% की वार्षिक वृद्धि (सोर्स- सोशल मीडिया)
Indian Economy Credit Growth: भारत में बैंक क्रेडिट की वृद्धि दर लगातार मजबूत बनी हुई है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इसमें सालाना आधार पर 11.5 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है। यह वृद्धि साबित करती है कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में ऋण की मांग स्थिर है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि यह भारत की विकास दिशा को और मजबूत बना रहा है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, बैंक क्रेडिट की यह महत्वपूर्ण वृद्धि मुख्य रूप से खुदरा (Retail) और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) क्षेत्रों से आई मजबूत मांग से प्रेरित है। ग्रामीण क्षेत्र की आर्थिक गतिविधि और उपभोग में सुधार ने इस मांग को और बढ़ावा दिया है।
जीएसटी दरों में हालिया संशोधन ने भी मांग की स्थिति पर सकारात्मक असर डाला है, जिससे होम लोन, ऑटो लोन और उपभोक्ता सामानों के लोन जैसे क्रेडिट की आपूर्ति में अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला है।
RBI द्वारा जारी नए आंकड़ों के मुताबिक, 28 नवंबर 2025 तक कुल बैंक क्रेडिट 195.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। यह वृद्धि पिछले कुछ महीनों से 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है, जो एक स्थिर मांग की स्थिति को दर्शाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2025 को समाप्त तिमाही में कुल क्रेडिट सप्लाई में अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का योगदान 61 प्रतिशत रहा।
इस तिमाही में नए क्रेडिट लेने वालों की संख्या में भी पिछले वर्ष की तुलना में 5 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जबकि 35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं के क्रेडिट लेने की संख्या में 12 प्रतिशत का उछाल आया।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि औद्योगिक क्रेडिट और कॉर्पोरेट लोन (Corporate Loan) में सुधार के अच्छे संकेत मिले हैं। यह दर्शाता है कि व्यावसायिक विश्वास और आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है। यह रिकवरी भारत की विकास दिशा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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हालांकि कुल संपत्ति गुणवत्ता (Asset Quality) बड़े पैमाने पर स्थिर रही है, लेकिन कुछ खास ऋण सेगमेंट, जैसे माइक्रो-एलएपी (Micro-LAP) और छोटे टिकट हाउसिंग लोन में दबाव बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके बावजूद, केंद्र का मानना है कि समग्र रूप से बैंक क्रेडिट की वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक गति को दर्शाती है और उत्पादक क्षेत्रों को निरंतर ऋण आपूर्ति सुनिश्चित कर रही है।