केएसके महानदी पावर (सौजन्य : सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : केएसके महानदी पावर का अधिग्रहण हासिल करने के लिए गौतम अदाणी के अदाणी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि अदाणी समूह ने इस कंपनी को खरीदने के लिए तकरीबन 12,500 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जिसके बाद बाकी बिजनेस ग्रुप ने भी इस प्रोडेक्ट लिए बोली बढ़ा दी है। खबर आ रही है कि अदाणी समूह के इस कदम के बाद बोली का आंकड़ा एक नई ऊंचाई छू सकता है।
केएसक महानदी पावर के ऋणदाताओं की समिति यानी सीओसी की तरफ से बोली को चैलेंज देने वाली व्यवस्था शुरू किए जाने के बाद नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए की पूरी वसूली हो जाने की उम्मीद है। हालांकि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता यानी आईबीसी के अंतर्गत संचालित कार्यवाही में ऐसा हो पाना लगभग दुर्लभ है।
आईबीसी सिस्टम से जुड़े सूत्रों ने केएसके महानदी को लेकर दिलचस्पी बढ़ाने का श्रेय अदाणी समूह को दिया है। अदाणी समूह ने इस मुश्किल से गुजर रही कंपनी के लिए 12,500 करोड़ रुपये की शुरुआती ऊंची बोली लगाई है। यह बोली दूसरे पायदान पर मौजूद बोलीदाता की तुलना में 4,800 करोड़ रुपये यानी 62 प्रतिशत ज्यादा है।
इसका नतीजा यह निकला है कि एनटीपीसी समेत 10 मौलिक बोलीदाताओं में से 6 ने अब अदाणी समूह की लगाई बोली के आसपास के संशोधित प्रस्ताव पेश किए हैं। यह मजबूत कॉम्पीटिशन को दर्शाता है जिससे एसेट वैल्यू भी बढ़ेगा।
ये भी पढ़ें :- क्वॉलकॉम कंपनी के अधिकारी का बड़ा बयान, बोले- एडवांस टेलीकॉम सर्विस के लिए 600 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड सबसे बेहतर
इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह हाईएस्ट वैल्यू हासिल करने पर आईबीसी के जोर को दर्शाता है। अदाणी की कॉम्पीटिटिव बिडिंग केएसके महानदी के 10,000 करोड़ रुपये के कथित कैश रिजर्व और 4,000 करोड़ रुपये की व्यापार प्राप्तियों को जोड़कर करीब 27,000 करोड़ रुपये हो जाती है। इसका मतलब है कि कर्जदाताओं को बकाया कर्ज के 92 प्रतिशत की वसूली हो सकती है।
छत्तीसगढ़ में स्थित केएसके महानदी की स्थापित कैपेसिटी 1,800 मेगावाट है। करीब 29,330 करोड़ रुपये के कर्ज बोझ वाले इस प्रोजेक्ट को 2019 में दिवाला इंसोल्वेंसी सोल्यूशन प्रोसेस में लाया गया था। अदाणी पावर की 12,500 करोड़ रुपये की बोली कॉम्पीटिटिव इंस्टीट्यूट के बीच सबसे ऊंची पेशकश थी।
इस प्रक्रिया में जेएसडब्ल्यू एनर्जी, जिंदल पावर, वेदांता, एनटीपीसी और कोल इंडिया जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल थीं। लेकिन उनकी बोलियां 6,500 करोड़ रुपये से 7,700 करोड़ रुपये के बीच थीं। इसके बाद कर्जदाताओं की समिति ने बिडिंग चैलेंज सिस्टम अपनाने का फैसला किया। नई व्यवस्था के तहत बाकी दावेदारों ने बढ़ी हुई बोलियां लगाई हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)