त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
Triveniganj Vidhansabha Seat Details: राजनीतिक रूप से अहम त्रिवेणीगंज सीट सुपौल जिले की त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित यह सीट सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से विशिष्ट पहचान रखती है। यहां की जनसंख्या संरचना और भौगोलिक स्थिति इसे चुनावी रणनीति का अहम केंद्र बनाती है।
त्रिवेणीगंज में पहली बार विधानसभा चुनाव 1957 में हुआ था। उस समय यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। 1962 से 2009 तक इसे सामान्य श्रेणी में रखा गया, लेकिन 2010 से इसे पुनः आरक्षित घोषित कर दिया गया। शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने 1957 से 1962 तक जीत दर्ज की। इसके बाद संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल ने भी यहां सफलता हासिल की।
वर्ष 2000 में इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने कब्जा जमाया। 2005 में लोक जनशक्ति पार्टी ने जीत हासिल की। 2009 के उपचुनाव में पहली बार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने इस सीट पर जीत दर्ज की और तब से यह सीट जदयू के पास रही है। 2010 में अमला देवी, और 2015 व 2020 में वीणा भारती ने जदयू के टिकट पर जीत हासिल की।
2020 के विधानसभा चुनाव में वीणा भारती ने राजद के संतोष कुमार को 3,031 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत न केवल विधानसभा में जदयू की स्थिति को मजबूत करने वाली रही, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को इस क्षेत्र में बड़ी बढ़त दिलाने में मददगार साबित हुई।
2020 में त्रिवेणीगंज में कुल 2,86,147 पंजीकृत मतदाता थे। इनमें 18.53% अनुसूचित जाति, 14.90% मुस्लिम और 21.70% यादव समुदाय के मतदाता शामिल थे। 2024 तक यह संख्या बढ़कर 3,09,402 हो गई है। यह जातीय संरचना चुनावी रणनीति में निर्णायक भूमिका निभाती है, खासकर जब जदयू और राजद जैसे दल अपने-अपने सामाजिक आधार को साधने की कोशिश करते हैं।
त्रिवेणीगंज कोसी नदी के तट पर स्थित है, जो इसे कृषि के लिए उपजाऊ बनाती है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से धान, मक्का और जूट की खेती पर आधारित है। हालांकि, कोसी नदी की बाढ़ हर साल इस क्षेत्र को प्रभावित करती है, जिससे विकास कार्यों में बाधा आती है।
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इस क्षेत्र में रोजगार के सीमित अवसर और कृषि आधारित उद्योगों की कमी के कारण युवाओं का पलायन एक बड़ी समस्या है। सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं अब भी अपर्याप्त हैं। इन चुनौतियों के बावजूद त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाती है।
जदयू की लगातार जीत ने त्रिवेणीगंज को एक मजबूत गढ़ बना दिया है। लेकिन 2025 के चुनाव में राजद इस सीट पर वापसी की कोशिश कर रहा है। जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और विकास की अपेक्षाएं इस बार चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं। देखना दिलचस्प होगा कि क्या जदयू अपना दबदबा बनाए रखता है या विपक्ष समीकरण बदलने में सफल होता है।