मंत्री बनते ही जनता पर भड़के उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक कुशवाहा (फोटो- सोशल मीडिया)
RLM Cheaf Upendra Kushwaha Minister Son News: बिहार की राजनीति में एक नया और तीखा विवाद खड़ा हो गया है। रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश कुशवाहा, जो हाल ही में नीतीश कुमार की नई सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं, अपने कामकाज की शुरुआत से ज्यादा अपने व्यवहार को लेकर चर्चा में आ गए हैं। शनिवार को जैसे ही वे अपना पदभार संभालने दफ्तर पहुंचे, वहां मौजूद लोगों पर उनका गुस्सा फूट पड़ा। मंत्री जी का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वे लोगों पर भड़कते और तल्ख लहजे में बात करते नजर आ रहे हैं।
शनिवार को जब दीपक प्रकाश कुशवाहा पंचायती राज मंत्रालय का कार्यभार संभालने पहुंचे, तो उनका अंदाज अन्य नेताओं से बिल्कुल जुदा था। वे पारंपरिक कुर्ता-पजामा की जगह पैंट-शर्ट पहनकर बिल्कुल कैजुअल लुक में ऑफिस आए थे। लेकिन दफ्तर में कदम रखते ही वहां मौजूद लोगों से बातचीत के दौरान उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आप लोग मेरा समय बर्बाद कर रहे हैं, बाहर जाइए। कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस लहजे में उन्होंने डांटा, वे लोग या तो पत्रकार थे या फिर उनसे मिलने आए उनके अपने ही समर्थक।
नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में कुल 26 मंत्रियों को जगह मिली है, जिनमें दीपक प्रकाश का नाम सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रहा। वे न तो विधायक हैं और न ही विधान परिषद के सदस्य, फिर भी उन्हें सीधे मंत्री बना दिया गया है। अब नियम के मुताबिक उन्हें अगले 6 महीनों के भीतर किसी एक सदन की सदस्यता लेनी होगी। दीपक का जन्म 1989 में हुआ था और वे विदेश से पढ़ाई करके लौटे हैं। साल 2011 में सिक्किम मणिपाल से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने नौकरी भी की है। बता दें कि उनकी मां स्नेहलता भी सासाराम सीट से चुनाव जीती हैं।
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बेटे को मंत्री बनाने पर उठ रहे भाई-भतीजावाद के सवालों पर पिता उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए यह कदम उठाना बेहद जरूरी था। कुशवाहा ने इसकी तुलना समुद्र मंथन से करते हुए कहा कि कभी-कभी विष भी पीना पड़ता है। उन्होंने स्वीकार किया कि इस फैसले से उन पर परिवारवाद के आरोप लगेंगे, लेकिन यह जानते हुए भी उन्हें यह फैसला लेना पड़ा जो उनके लिए विष पीने के बराबर था। उन्होंने कहा कि इस कदम के पीछे के हर कारण का सार्वजनिक रूप से विश्लेषण नहीं किया जा सकता।