बिहार विधानसभा चुनाव, 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Sandesh Assembly Constituency: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं, भोजपुर जिले की संदेश विधानसभा सीट पर राजनीतिक गरमाहट बढ़ती जा रही है। यह सीट एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच कांटे की टक्कर का गवाह बनने जा रही है।
राजद ने 2015 और 2020 में लगातार जीत हासिल करके इस सीट पर अपना दबदबा कायम किया है, और अब पार्टी यहां जीत की हैट्रिक लगाने को बेताब है। वहीं, जदयू इस बार अपने “तीर” के सहारे राजद के किले में सेंध लगाने की पूरी तैयारी में है।
इस बार संदेश विधानसभा सीट पर दो प्रमुख उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है, जो अपने-अपने गठबंधन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस बार यहां युवा और अनुभव के बीच सीधा मुकाबला होगा।
राजद महागठबंधन के साथ चुनावी मैदान में है, जबकि जदयू एनडीए के साथ चुनावी रण में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन की यह केमिस्ट्री इस बार किस दल के पक्ष में परिणाम लाती है।
चुनावी गहमागहमी के बीच, संदेश विधानसभा के मतदाता रोजमर्रा की मुश्किलों से जूझते हुए इस बार बदलाव की उम्मीद लगाए हैं। यहां के मुख्य चुनावी मुद्दे विकास और बुनियादी सुविधाओं से जुड़े हैं:
1. बाढ़ का कहर: इस क्षेत्र में बाढ़ की समस्या सबसे बड़ी है। किसानों की फसलें हर साल डूब जाती हैं और कई परिवारों के घर उजड़ जाते हैं। मतदाताओं का गुस्सा इस बात पर है कि तटबंध मजबूत करने के वादे सिर्फ कागजों तक सिमटे हैं। साथ ही, सिंचाई सुविधाओं की कमी किसानों को परेशान करती है।
2. स्वास्थ्य और शिक्षा: अस्पतालों में अव्यवस्था और डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को इलाज के लिए भोजपुर जिले से दूर अन्य जिलों में जाना पड़ता है। स्कूलों में भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
3. पलायन और बेरोजगारी: बिहार के अन्य क्षेत्रों की तरह ही, इस विधानसभा के युवा भी रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर पलायन करते हैं। टूटी सड़कें, बिजली कटौती और गर्मियों में पानी का संकट भी आम है। स्थानीय जनता का मानना है कि बुनियादी ढांचे की बदहाली को देखते हुए अब इस सीट पर बदलाव जरूरी है।
हालांकि, हाल ही में पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की ओर से शुरू की गई मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना से मिली 10 हजार की धनराशि ने यहां रोजगार का सपना देख रही महिलाओं के चेहरे पर कुछ खुशी बिखेरी है। लेकिन ये छोटी पहलें, बड़े मुद्दों जैसे टूटी सड़कें और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को पूरी तरह से दूर नहीं कर सकतीं।
इस विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास पर राजद का दबदबा रहा है, खासकर पिछले एक दशक में देखा जाए तो हालत बदलते रहे हैं। 2010 में भाजपा के उम्मीदवार ने इस सीट पर जीत हासिल की थी, जब जदयू एनडीए के साथ थी। लेकिन राजद ने वापसी की और 2010 के बाद इस सीट पर बीते दो चुनावों (2015 और 2020) में जदयू को हार का सामना करना पड़ा।
मोदी लहर में भी जीत हासिल करके राजद ने अपना दमखम दिखाया। 2015 में, जब केंद्र में मोदी सरकार और देशभर में मोदी लहर थी, तब भी राजद ने इस सीट पर जीत हासिल करके अपनी मजबूत पकड़ साबित की थी। हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी राजद ने गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।
संदेश विधानसभा सीट पर मतदाताओं और आबादी का विवरण चुनावी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। यहां की कुल जनसंख्या 5,02,841 है, जिसमें पुरुष 2,61,064 और महिलाएं 2,41,777 हैं। चुनाव आयोग के अनुसार मतदाताओं का आंकड़ा देखा जाए तो कुल मतदाताओं की संख्या 2,94,047 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,54,806 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,39,240 है। वहीं थर्ड जेंडर मतदाता केवल 1 है।
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इस बार संदेश के मतदाता रोजमर्रा की समस्याओं और बुनियादी ढांचे की उपेक्षा को देखते हुए बदलाव के मूड में हैं। अब यह देखना होगा कि क्या राजद तीसरी बार इस सीट पर जीत हासिल कर पाएगी या जदयू/एनडीए गठबंधन जनता के असंतोष को भुनाकर सीट पर कब्जा जमाएगा।