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सियासत का उगता सूरज जन सुराज, प्रशांत किशोर दिखा बिहार को भविष्य की नई राह

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर जनसुराज नामक राजनीतिक दल लेकर सियासी मैदान में उतरे हैं। पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार की तरफ बेरोजगारी और पालायन से जूझ रहा बिहार उम्मीद से देख रहा है।

  • By सौरभ पाल
Updated On: Jul 31, 2025 | 07:31 PM

प्रशांत किशोर (फोटो-सोशल मीडिया)

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Bihar Politics: बिहार की राजनीतिक जमीन पर जन सुराज नामक एक नया सूरज उगता दिख रहा है। इस राजनीतिक पार्टी की शुरुआत पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने की है, जो न केवल अत्यंत शिक्षित हैं, बल्कि जिनका वैश्विक दृष्टिकोण और जमीनी जुड़ाव दोनों ही बेमिसाल है। घिसी-पिटी पुराने ढर्रे की राजनीतिक से ऊब चुकी बिहार की जनता को जन सुराज और प्रशांत किशोर से काफी उम्मीदें हैं।

जन सुराज पार्टी को अभी महज कुछ समय ही हुआ है, लेकिन इसने अपनी राजनीतिक मौजूदगी से सभी को चौंका दिया है। 2024 में हुए बिहार विधानसभा के उपचुनाव से महज 10 दिन पहले पार्टी को चुनाव चिन्ह मिला था, इसके बावाजूद भी जनसुराज ने चार सीटों पर 10% वोट शेयर हासिल किया। उसके बाद बिहार विधान परिषद के उपचुनाव में इस पार्टी ने 22% वोट प्राप्त किए। यह न केवल एक नई पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह भी संकेत है कि बिहार की जनता विकल्प चाहती है।

समान प्रतिनिधित्व की नई सोच

बिहार की राजनीति में आमतौर पर जातीय समीकरण ही निर्णायक भूमिका निभाते हैं। परंतु जन सुराज पार्टी पहली ऐसी राजनीतिक पार्टी है, जिसने अपने संविधान में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि “जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी।” यह सोच हर उस व्यक्ति के दिल को छूती है जो वर्षों से अपने समाज की उपेक्षा को देख रहा है। अन्य राजनीतिक पार्टियां एक खास जाति या समुदाय का प्रभुत्व बनाए रखती हैं। उदाहरण के लिए, राजद में यादवों का वर्चस्व है और वह अन्य समुदायों को मात्र संरक्षण देने की बात करता है, समान भागीदारी नहीं। भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण करती है और कथित ऊंची जातियों और वैश्य समुदाय के लोगों का वर्चस्व साफ दिखता है। इन पार्टियों में कार्यकर्ता तो हर समुदाय से लिए जाते हैं, लेकिन नेतृत्व खास वर्ग को दिया जाता है।

प्रशांत किशोर इस राजनीतिक रुढ़िवादी परंपरा को तोड़ने की बात करते हैं। वे कहते हैं कि हर समुदाय में प्रतिभा है, अवसर चाहिए। वे इस मिथक को तोड़ना चाहते हैं कि केवल कुछ जातियों में ही नेतृत्व की क्षमता होती है। यह सोच बिहार की राजनीति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

एक शिक्षित, परिश्रमी और दूरदर्शी नेता की जरूरत

आज बिहार को एक ऐसे नेता की ज़रूरत है जो न केवल शिक्षित हो, बल्कि आधुनिक सोच और वैश्विक दृष्टिकोण से भी समृद्ध हो। प्रशांत किशोर वही नाम है जिसने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन में दस वर्षों तक कार्य किया, अमेरिका सहित कई देशों में रहकर विश्व की कार्यसंस्कृति को समझा और फिर गांव की मिट्टी में लौट आया। अपने लोगों के दुःख-दर्द को जानने और उनके लिए कुछ कर दिखाने का संकल्प लेकर।

किशोर न केवल धाराप्रवाह अंग्रेज़ी बोलते हैं, बल्कि गांव की टूटी सड़क, बेरोजगारी की पीड़ा, स्कूल में शिक्षक की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को भी गहराई से समझते हैं। आज वे गांव-गांव घूम रहे हैं, रातें वहीं गुज़ारते हैं और लोगों की असली समस्याएं सुनकर समाधान की बात करते हैं। प्रशांत किशोर ने कभी हवा में उड़ने वाले वादे नहीं किए। न “हर हाथ में लैपटॉप” जैसे दिखावटी नारे, न “हर खेत को पानी” जैसे बहकावे। उन्होंने हमेशा कहा है कि “समस्या को जड़ से समझो, तभी हल निकलेगा।”

ये भी पढ़ें- संपादकीय: 2036 का ओलंपिक आयोजन, भारत और कतर दोनों ही मजबूत दावेदार

जनता की सोच बदल रही है

आज बिहार की जनता भी बदल रही है। वे समझ रहे हैं कि केवल जाति के आधार पर वोट देना उनके भविष्य के साथ समझौता है। जन सुराज पार्टी उन्हें एक वैकल्पिक सोच देती है। ऐसी सोच जो उन्हें बराबरी का दर्जा, भागीदारी का हक और नेतृत्व का अवसर देती है।

एक तीसरा विकल्प: अब सिर्फ दो नहीं, तीन रास्ते

अब तक बिहार में राजद और भाजपा के रूप में केवल दो ही विकल्प थे, पर अब जनसुराज तीसरा विकल्प है। यह विकल्प खासकर उन समुदायों के लिए आशा की किरण है जो हमेशा से राजनीतिक उपेक्षा का शिकार रहे हैं। जिसमें अतिपिछड़ा वर्ग, मुस्लिम समुदाय, दलित, महादलित और अन्य अति-हाशिये के वर्ग हैं। प्रशांत किशोर और जन सुराज की बढ़ती लोकप्रियता इस बात की गवाही देती है कि लोग अब सकारात्मक बदलाव चाहते हैं। एक ऐसा बदलाव जो अवसर की बराबरी, सोच की स्वतंत्रता और नेतृत्व की समावेशिता पर आधारित हो।

-लेखक: प्रोफेसर ओम प्रकाश गुजेला (बख्तियारपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पटना)

Prashant kishor and jan suraj are new hope in bihar politics

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Published On: Jul 31, 2025 | 07:31 PM

Topics:  

  • Bihar Assembly Election 2025
  • jan suraaj
  • Prashant Kishor

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