प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण के संकेत (फोटो- सोशल मीडिया)
Reservation in Private Sector Debate: प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग काफी पुरानी है, लेकिन अब यह मुद्दा एक बार फिर राजनीति के केंद्र में आता दिख रहा है। बिहार में अति पिछड़ी जातियों (EBC) के लिए जारी किए गए 10 संकल्प इस बात का संकेत दे रहे हैं कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी 2029 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा तैयार करने में जुट गए हैं। इन वादों के केंद्र में आरक्षण है, जिससे लगता है कि राहुल दलितों और पिछड़ों की राजनीति के सहारे पार्टी में नई जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं।
पटना में तेजस्वी यादव के साथ मिलकर राहुल गांधी ने जो EBC संकल्प जारी किया है, वह सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक पर निशाना है। इन संकल्पों से साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी से लगातार मिल रही चुनावी हार के बाद, राहुल गांधी 2029 के लिए प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे को अपना मुख्य हथियार बना सकते हैं। यह सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार राष्ट्रीय राजनीति से भी जुड़ते हैं, क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी निजी क्षेत्र में आरक्षण की बात कर चुके हैं।
दिलचस्प बात यह है कि प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की वकालत करने वाले राहुल गांधी पहले नेता नहीं हैं। साल 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा था कि अगर सरकारी नौकरियों में आरक्षण हो सकता है, तो प्राइवेट में क्यों नहीं? हालांकि, उन्होंने इस पर आम सहमति बनाने की बात कही थी, लेकिन 2004 में बीजेपी की हार के बाद यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया। अब कांग्रेस इसे फिर से हवा दे रही है, जो भविष्य की राजनीति की दिशा तय कर सकता है।
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राहुल गांधी कई मौकों पर कह चुके हैं कि वे आरक्षण पर लगी 50% की सीमा को बढ़ाने के पक्ष में हैं और यह बात EBC संकल्प में भी दोहराई गई है। वे लगातार संविधान की प्रति दिखाकर आरक्षण की रक्षा और उसे विस्तार देने का वादा कर रहे हैं। बिहार में जारी संकल्प में निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने और सरकारी नौकरियों में ‘योग्य नहीं मिला’ के चलन को खत्म करने का वादा किया गया है। ये सभी कदम इशारा करते हैं कि राहुल गांधी 2029 के लिए एक बड़ा सियासी दांव चलने की तैयारी में हैं।