डिजाइन फोटो (नवभारत)
Parihar Assembly Constituency: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच सीतामढ़ी जिले की परिहार विधानसभा सीट एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बन गई है। भाजपा जहां इस सीट पर चौथी बार जीत दर्ज करने की कोशिश में है, वहीं राजद पिछली बार की करीबी हार को जीत में बदलने की रणनीति पर काम कर रही है। सीमावर्ती और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध यह क्षेत्र अब एक बार फिर राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है।
परिहार विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। इसके बाद से यहां तीन विधानसभा चुनाव (2010, 2015, 2020) हो चुके हैं और तीनों में भाजपा ने जीत दर्ज की है। 2010 में राम नरेश प्रसाद यादव ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की, जबकि 2015 और 2020 में गायत्री देवी ने पार्टी की जीत को बरकरार रखा। हालांकि, 2020 के चुनाव में भाजपा और राजद के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। भाजपा की गायत्री देवी और राजद की ऋतु जायसवाल के बीच मुकाबला इतना करीबी था कि हार-जीत का अंतर 1% से भी कम वोटों का रहा। यह संकेत था कि भाजपा का गढ़ अब उतना सुरक्षित नहीं रहा जितना पहले था।
जनसंख्या और मतदाता आंकड़े
परिहार विधानसभा की कुल जनसंख्या 5,67,339 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 2,95,277 और महिलाओं की संख्या 2,72,062 है। चुनाव आयोग के 1 जनवरी 2024 के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में कुल मतदाता 3,31,669 हैं। इनमें पुरुष मतदाता 1,74,718, महिला मतदाता 1,56,927 और थर्ड जेंडर वोटर 24 हैं। महिला मतदाताओं की संख्या और उनकी बढ़ती राजनीतिक जागरूकता इस बार चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषता
परिहार विधानसभा क्षेत्र नेपाल की सीमा के समीप स्थित है और मिथिला की ऐतिहासिक विरासत से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र जनकपुर जैसे नेपाली शहरों से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र है। स्थानीय लोग नेपाल के धार्मिक उत्सवों में भाग लेते हैं और सीमा पार व्यापार भी यहां की अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। हाल के वर्षों में बिजली और सड़क संपर्क में सुधार हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएं अब भी सीमित हैं।
ग्रामीण जीवन और अर्थव्यवस्था
परिहार पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। धान, गेहूं, मक्का, दालें और सब्जियां यहां की प्रमुख फसलें हैं। बाढ़ के कारण फसल चक्र में व्यवधान आता है, लेकिन किसान नई तकनीकों और बीजों का उपयोग कर रहे हैं। गाय और भैंस पालन, दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री, हस्तशिल्प और मधुबनी पेंटिंग जैसे छोटे उद्योग भी यहां की आजीविका का हिस्सा हैं। सड़क संपर्क में सुधार के बाद स्थानीय व्यापार में वृद्धि हुई है, लेकिन बड़े उद्योगों की अनुपस्थिति रोजगार के अवसरों को सीमित करती है।
बदल सकते हैं चुनावी समीकरण
2020 के चुनाव में राजद की ऋतु जायसवाल ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी। इस बार भी राजद उसी उत्साह के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है। भाजपा की ओर से गायत्री देवी फिर से उम्मीदवार हो सकती हैं, जो लगातार दो बार जीत चुकी हैं। राजद का फोकस यादव-मुस्लिम मतदाताओं के गठजोड़ पर रहेगा, जबकि भाजपा अपने पारंपरिक वोट बैंक को संगठित करने और विकास के मुद्दों को केंद्र में रखने की रणनीति पर काम कर रही है।
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मुकाबला दिलचस्प, परिणाम निर्णायक
परिहार विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। भाजपा अपनी चौथी जीत की कोशिश में है, जबकि राजद पिछली करीबी हार को जीत में बदलने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। सीमावर्ती क्षेत्र, सांस्कृतिक विविधता, ग्रामीण जीवन और स्थानीय मुद्दे इस चुनाव को और भी रोचक बना रहे हैं। अब देखना यह है कि परिहार में कमल फिर से खिलेगा या लालटेन की रोशनी भाजपा के विजयी रथ को रोक देगी। फैसला मतदाता करेंगे और इस बार उनका रुख निर्णायक साबित हो सकता है।